21 दिन का लॉक डाउन देश को किस तरह बदल देगा? ये सभी होंगे प्रभावित
कोरोना वायरस के चलते शुरू हुए लॉकडाउन के दौरान कई सेक्टर सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं। अब ये देखना महत्वपूर्ण है कि सब कुछ कितनी जल्दी वापस पटरी पर आता है?
देश में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए सरकार ने 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की है। इस दौरान देश में आपातकालीन और जरूरी सेवाओं के अलावा लगभग सभी सेवाएँ पूरी तरह बंद हैं। लॉकडाउन का असर कई इंडस्ट्रीज़ पर सीधे तौर पर भी पड़ा है, तो दैनिक कमाई पर निर्भर रहने वाले मजदूर भी इससे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
21 दिन के लॉकडाउन के बाद देश में क्या बदलाव देखने को मिलेंगे? क्या इससे कुछ सकारात्मक परिणाम सामने आएगा, या भारत फिर से पीछे चला जाएगा। इसे कुछ पॉइंट्स पर गौर करते हुए समझा जा सकता है-
नौकरियों का क्या होगा?
लॉक डाउन के दौरान दैनिक वेतन पर निर्भर रहने वाले लेबर का बुरा हाल हुआ है। इस तरह के माहौल में लॉकडाउन के बावजूद बड़ी संख्या में यह लेबर अपने परिवार समेत अपने मूल निवास को पलायन कर गए। इसी के साथ कुछ बड़ी कंपनियों ने भी ऐसे संकेत दिये हैं कि लॉक डाउन के खत्म होने के बाद वे स्थिति को काबू में करने के लिए अपने कर्मचारियों की छटनी कर सकती हैं।
डेली वेज लेबरों को भी वापस काम ढूँढने और उसे शुरू करने में समय लग सकता है, हालांकि लॉक डाउन के बाद बाज़ार में थोड़ी मांग बढ़ने की भी संभावना है, जिसे पूरा करने के लिए अधिक लेबर की भी आवश्यकता होगी।
तमाम इंडस्ट्री पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
जब हम भारत की बात करते हैं तो देश की 65 से 70 प्रतिशत अर्थव्यवस्था असंगठित है, ऐसे में लॉक डाउन से सबसे अधिक प्रभाव रेहड़ी वाले और ऑटो ड्राइवर जैसे लोगों पर पड़ा है। इनके लिए वापस से अपने व्यवसाय को खड़ा करना एक चुनौती होगा। लॉक डाउन के चलते होटल, टूरिज़्म, लॉजिस्टिक और एविएशन इंडस्ट्री को बुरी चोट पहुंची है। लॉकडाउन के दौरान कृषि क्षेत्र के प्रभावित होने की संभावना है।
किसानों की फसलें, खास कर गेंहू फसल अब लगभग कटने को तैयार है, ऐसे में यह लॉक डाउन फसल के इस आखिरी समय में किसानों को परेशान कर सकता है। इसी के साथ फल और सब्जी उगाने वाले किसानों के लिए इस लॉक डाउन ने बड़ा झटका दिया है, जिससे उबरना उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा।
निचले तबके और गरीबों का क्या होगा?
लॉक डाउन के दौरान गरीब और निचला तबका सीधे तौर पर प्रभावित हुए है। हालांकि केंद्र सरकार और कई राज्य सरकारों ने भी इस वर्ग के लिए कई तरह से मदद करने की पेशकश की है, लेकिन बावजूद इसके इस प्रभाव से सीधे उबर पाना इतना आसान नहीं होगा। दिहाड़ी मजदूर जो अपनी दैनिक कमाई पर ही मुख्यता आश्रित रहते हैं, ऐसे में 21 दिनों तक बिना कमाई के रहना उनके लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है।
हालांकि किसानों के लिए केंद्र सरकार अप्रैल के पहले हफ्ते में ही पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत उनके खातों में मदद राशि पहुँचाने का काम शुरू कर देगी। इसी के साथ कई राज्य सरकारों ने भी दिहाड़ी मजदूरों की मदद के लिए अपने कदम आगे बढ़ाते हुए उनके खातों में मदद राशि भेजने का आश्वासन दिया है।
बैंकिंग सिस्टम पर प्रभाव?
केंद्र सरकार के आदेशानुसार लॉक डाउन के दौरान बैंकिंग सेवाएँ निर्बाध जारी रहेंगी। लॉक डाउन के बाद बैंक अब लोगों के लिए कई तरह के लोन की पेशकश कर रही हैं, इनमें से मुख्यता लोन कारोबारियों और छोटे उद्यमियों के लिए हैं। ये सभी लोन इस दौरान झटका खाये उद्यमियों की गाड़ी फिर से पटरी पर लाने में उनकी मदद करेंगे।
आरबीआई ने हाल ही में कहा था कि कोरोना वायरस महामारी के चलते दुनिया भर की अर्थव्यवस्था मुश्किल दौर में है और फिलहाल वैश्विक स्तर पर कई सेक्टर मंदी के दौरान में हैं। आरबीआई ने अपनी रेपो दर में कटौती करते हुए इसे 4.4 प्रतिशत कर दिया है। इसी के साथ आरबीआई ने बताया है कि इन हालातों में सिस्टम में 3.74 लाख करोड़ रुपये की नगदी भी बढ़ेगी।
सरकार का राहत पैकेज
कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के चलते देश में लॉक डाउन से पड़े प्रभाव से निपटने के लिए सकरार ने 1.70 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की है। इस राशि का उपयोग गरीबों के लिए खाने का प्रबंध करने व जरूरतमंदों के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने समेत अन्य जरूरी पहलुओं पर किया जाएगा। हालांकि भारत का राहत पैकेज अमेरिका, स्पेन और फ्रांस जैसे देशों तुलना में बेहद कम है।
केंद्र सरकार ने इस दौरान जो राहत पैकेज जारी किया है, वो भारत की संशोधित जीडीपी का महज 0.83 फीसदी है। सरकार द्वारा जारी की गई मदद का जरूरतमंदों तक पहुंचाना भी बेहद अहम है, क्योंकि इस समय सप्लाई चेन पूरी तरह टूटी हुई है। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत सिर्फ उन्ही किसानों को मदद मिलेगी जिनके भूमि है, ऐसे में भूमिहीन किसान सरकार की इस मदद से अछूते रह जाएंगे।