ड्राइविंग लाइसेंस और पैन कार्ड बनवाने में हो रही परेशानी? यह स्टार्टअप कर सकता है आपकी मदद!
'हैटअप क्यू’ एक ऐसा स्टार्टअप है, जो अपने उपभोक्ताओं को ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट और पैन कार्ड्स आदि बनवाने और फिर उनके घर तक दस्तावेज़ पहुंचाने की सुविधा मुहैया करा रहा है। इस प्लेटफ़ॉर्म की मदद से उपभोक्ता अपने सभी दस्तावेज़ अपलोड करने बाद चैन की सांस ले सकते हैं...
ग्राहक अपनी सुविधानुसार ऑनलाइन कार्ट पर ऐड करके अपना ऑर्डर प्लेस कर सकते हैं या फिर एक कॉन्टैक्ट फ़ॉर्म भर सकते हैं, जिसके बाद ‘हैटअप क्यू’ उन तक ख़ुद ही पहुंच जाएगा।
बेंगलुरु स्थित ‘हैटअप क्यू’ (HatupQ) स्टार्टअप, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट और पैन कार्ड जैसे सरकारी पहचान पत्र और दस्तावेज़ बनवाने की औपचारिक प्रक्रिया पूरी करने में अपने उपभोक्ताओं की मदद करता है। 23 वर्षीय निखिल कुमार को अपना पासपोर्ट बनवाना था। पासपोर्ट बनवाने की प्रक्रिया में सहूलियत के लिए उन्होंने एक ब्रोकर से संपर्क किया और ब्रोकर ने उनसे फ़ीस के तौर पर 5 हज़ार रुपए की मांग की। निखिल को लगा कि काम के हिसाब से यह फ़ीस काफ़ी ज़्यादा है और इसलिए उन्होंने तय किया कि वह बिना ब्रोकर की मदद लिए ही पासपोर्ट बनवाएंगे। निखिल ने ख़ुद से ही पासपोर्ट के लिए आवेदन दिया, लेकिन दस्तावेज़ व्यवस्थित न होने की वजह से उनका आवेदन ख़ारिज कर दिया गया।
इस दौरान ही निखिल को इस बात का एहसास हुआ कि आम लोगों को ऐसे दस्तावेज़ बनवाने में कितनी समस्याओं का सामना करना पड़ता होगा और यहीं से उनके दिमाग़ में ‘हैटअप क्यू’ का आइडिया आया। इस प्लेटफ़ॉर्म की मदद से उपभोक्ता अपने सभी दस्तावेज़ अपलोड करने बाद चैन की सांस ले सकते हैं। हाल में ‘हैटअप क्यू’, उपभोक्ताओं को ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट और पैन कार्ड्स आदि बनवाने और फिर उनके घर तक दस्तावेज़ पहुंचाने की सुविधा मुहैया करा रहा है। अगर आपको अपना कोई दस्तावेज़ रेन्यू करवाना है तो इस काम में भी आप ‘हैटअप क्यू’ की मदद ले सकते हैं।
निखिल अपना आइडिया लेकर अपने करीबी दोस्त और पुराने साथी जीवन प्रधान के पास पहुंचे। निखिल, जीवन के साथ पहले भी एक स्टार्टअप में हाथ आज़मा चुके थे। दोनों ने मिलकर एक ट्रैवल स्टार्टअप की शुरुआत की थी, जो संसाधनों आदि के अभाव में दो महीनों के ऑपरेशन्स के बाद ही बंद हो गया था। ‘हैटअप क्यू’ की कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी देते हुए निखिल ने बताया, “यूज़र्स अपनी सर्विस का चुनाव कर सकते हैं और उसे कार्ट में जोड़ सकते हैं। यह उतना ही आसान है, जितना ऑनलाइन शॉपिंग करना। हम मूलरूप से सरकारी दस्तावेज़ों से जुड़ी सुविधाएं ही मुहैया कराते हैं। हम मानते हैं कि डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने में भी इस तरह की सुविधा की ज़रूरत थी।”
ग्राहक अपनी सुविधानुसार ऑनलाइन कार्ट पर ऐड करके अपना ऑर्डर प्लेस कर सकते हैं या फिर एक कॉन्टैक्ट फ़ॉर्म भर सकते हैं, जिसके बाद ‘हैटअप क्यू’ उन तक ख़ुद ही पहुंच जाएगा। ‘हैटअप क्यू’ सरकारी विभागों तक आपके आवेदन पहुंचाता है। सरकारी फ़ीस और ‘हैटअप क्यू’ की फ़ीस मिलाकर, आमतौर पर एक दस्तावेज़ के लिए उपभोक्ता को 1,500 रुपए का भुगतान करना पड़ता है।
आवेदन जमा होने से लेकर उपभोक्ता के घर तक दस्तावेज़ पहुंचने तक, हर प्रक्रिया पर निगरानी रखी जाती है और उससे जुड़े अपडेट लिए जा सकते हैं। ‘हैटअप क्यू’ की टीम, ख़ुद ही उपभोक्ताओं को उनके आवेदन की स्थिति की जानकारी देती रहती है। निखिल का दावा है कि उनकी सुविधाओं के लिए कोई भी ऐसी फ़ीस या चार्ज नहीं लिया, जिसकी उपयुक्त जानकारी उपभोक्ताओं को न दी गई हो। इतना ही नहीं, अगर आवेदन ख़ारिज कर दिया जाता है तो ‘हैटअप क्यू’ कोई भी रेज़ॉलूशन फ़ीस नहीं लेता।
सरकारी विभागों की कार्यप्रणाली और नियमों की वजह से शुरुआत में स्टार्टअप की टीम को काफ़ी परेशानी पेश आई। इस संबंध में निखिल का कहना है कि जब भी आप कोई नया काम करने की कोशिश करते हैं और वह भी ख़ासकर किसी सरकारी सेक्टर में, तो आपको अपनी पैठ बनाने में पर्याप्त समय लगता है। निखिल बताते हैं कि उनके स्टार्टअप की वजह से कई सरकारी अधिकारियों और ब्रोकरों को व्यक्तिगत नुकसान हुआ और इस वजह से शुरुआत में स्टार्टअप द्वारा दिए गए कई आवेदन रोक दिए जाते थे। निखिल बताते हैं कि उनके स्टार्टअप की प्रकिया पूरी तरह से पारदर्शी है और उनका स्टार्टअप स्टार्टअप इंडिया के अंतर्गत रजिस्टर्ड भी है।
‘हैटअप क्यू’ की टीम का दावा है कि लगभग 9 महीनों के वक़्त में कंपनी का रेवेन्यू 12 लाख रुपए तक पहुंच चुका है और 709 से अधिक उपभोक्ता कंपनी से सुविधाएं ले चुके हैं। कंपनी का कहना है कि हर महीने उनके उपभोक्ताओं की संख्या में 20 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हो रहा है। ‘हैटअप क्यू’ ने जानकारी दी कि उनकी कंपनी अभी बूटस्ट्रैप्ड फ़ंडिंग पर चल रही है और भविष्य के लिए कंपनी सही निवेश की तलाश में है।
निखिल बताते हैं कि उनकी कंपनी को मुंबई, हैदराबाद, पुणे और चेन्नई जैसे बड़े शहरों काफ़ी अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है और उनकी योजना है कि भविष्य में इन शहरों में अपनी सुविधाओं को और भी बेहतर किया जाए।
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