इन्हें कहते हैं 'पानी वाली माँ', अपने लगातार प्रयासों से मिटाई है राजस्थान के तमाम गांवों की प्यास
अमला रूईया नाम की ये महिला इसी तरह राजस्थान के 500 से अधिक गांवों में पानी की समस्या को हल करने का काम कर चुकी हैं।
राजस्थान हमेशा पानी की कमी से जूझता रहा है, लेकिन अब वर्षा जल के संचयन के साथ ही बड़े स्तर इस समस्या को सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है। अमला रूईया नाम की ये महिला इसी तरह राजस्थान के 500 से अधिक गांवों में पानी की समस्या को हल करने का काम कर चुकी हैं।
इन सभी गांवों में आज हर दिन पानी उपलब्ध कराया जा रहा है और यह संभव हो सका है अमला रूईया के वर्षा जल संचयन प्रोजेक्ट के चलते।
राज्य के दौरे से जन्मा इरादा
अमला उत्तर रदेश के सम्पन्न परिवार से आती है। उनकी दिलचस्पी शुरुआत से ही सामाजिक कार्यों में अधिक थी और आगे चलकर उन्होने इसी दिशा में बतौर करियर आगे बढ़ने का फैसला किया। अमला एक काम के सिलसिले में राजस्थान के दौरे पर थीं, तभी उन्हें पानी की कमी से जूझते राजस्थान के गावों का मंजर दिखाई दिया। यह सब देखकर अमला परेशान हो गईं और यहीं से अमला ने इन गांवों की पानी से जुड़ी समस्या को हल करने का संकल्प अपने मन में लिया।
मिला गाँव वालों का साथ
अमला ने इस काम की शुरुआत गाँव के लोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने के साथ की। अमला ने गांववासियों को वर्षा के जल को संचित करने के विषय में समझाना शुरू किया, हालांकि शुरुआत में जब अमला ने जल संरक्षण को लेकर अपने प्रयास शुरू किए तब उन्हे गाँव वालों से अधिक समर्थन नहीं मिला, लेकिन जल्द ही परिस्थितियाँ अनुकूल हो गईं और गाँव वालों ने इस काम में उनका साथ देना शुरू कर दिया।
अमला के इन प्रयासों को देखते हुए आगे आए गाँव वालों ने कुछ समय के भीतर ही क्षेत्र में 270 रोक बांधों का निर्माण कर डाला। इसके चलते गाँव वालों को ना सिर्फ रोज़मर्रा की जरूरत के लिए पानी मिलना शुरू हो गया, बल्कि उनके जीवन में भी इसके चलते बड़ा बदलाव देखने को मिला। इन प्रयासों के चलते अमला को 'पानी वाली माँ' नाम से भी संबोधित किया जाता है।
हुई ट्रस्ट की स्थापना
अमला ने अपने इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए आकार चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की, इसी के साथ उन्होने राजस्थान में पानी की कमी से जुड़े अन्य पहलुओं पर रिसर्च करना भी शुरू कर दिया। यहीं से अमला को वर्षा जल संचयन का आइडिया मिला जिसने बाद में गाँव वालों की जिंदगी बदल दी।
गांवों में पानी की उपलब्धता ने गाँव वालों के लिए कई तरह के मौके खोल दिये और इसका नतीजा ये हुआ कि गाँव के लोगों ने काम की खोज में अन्य शहर जाना छोड़ दिया, इसके चलते बड़ी संख्या में गाँव वाले न सिर्फ आत्मनिर्भर बन गए, बल्कि इसी के साथ वह जल्द ही कर्जमुक्त भी हो गए।
अन्य राज्यों में भी पहल
राजस्थान के साथ ही अम्ल और उनकी टीम ने अपने प्रयासों को छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और उड़ीसा आदि राज्यों तक भी फैलाने का काम किया है। टीम उत्तर प्रदेश और बिहार समेत अन्य राज्यों में भी आगे बढ़ने का मन बना रही है।
इतना ही नहीं अमला का ट्रस्ट जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा के लिए भी प्रयासरत है। इन प्रयासो के जरिये ही अमला को आज पूरे भारत में सम्मान के साथ जाना और पहचाना जा रहा है।