The Elephant Whispers: हाथी के बच्चे को अपनी संतान की तरह पालने वाले बोमन और बेली की कहानी
‘द एलिफेंट व्हिस्पर्स’ को इस साल शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री की श्रेणी में बेस्ट डॉक्यूमेंट्री के अवॉर्ड से नवाजा गया है.
हाथी का एक बच्चा खेल रहा है. बोमन हाथी के पास जाता है और उसकी सूंड़ से अपना माथा सटाकर उसे दुलराते हुए पूछता है, “सबसे प्यारा हाथी कौन है… मेरा प्यारा बच्चा कौन है…”
और हाथी हां में अपना सिर हिलाने लगता है. वो खुशी में गोल-गोल अपनी सूड़ घुमाता है और बोमन के हाथों में लपेट लेता है. इस दृश्य को देखकर ऐसा लगता है मानो पिता और बेटे के बीच संवाद चल रहा हो.
ये तमिलनाडु के मधुमलाई टाइगर रिजर्व में स्थित थेप्पकाडू एलिफेंट कैंप का दृश्य है. यह एशिया का सबसे पुराना कैंप है तो तकरीबन 140 साल पहले बनाया गया था.
हाथी का नाम है रघु. इसी रघु और उसे पाल-पोसकर बड़ा करने वाले बोमन और बेली की कहानी है, ‘द एलिफेंट व्हिस्पर्स,’ जिसे इस साल शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री की श्रेणी में बेस्ट डॉक्यूमेंट्री के अवॉर्ड से नवाजा गया है. फिल्म का निर्देशन किया है कार्तिकी गोन्साल्वेंस ने और प्रोड्यूसर हैं गुनीत मोंगा.
पूरी फिल्म मनुष्य, प्रकृति और जानवर के प्रेम और एकाकार होने की कहानी है. जंगल में अकाल पड़ा तो हाथियों का एक झुंड खाने-पानी की तलाश में गांव की तरफ चला आया. रघु की मां की बिजली का करंट लगने से मौत हो गई. नन्हा रघु अपने झुंड से बिछड़ गया. जब वन विभाग के अधिकारियों ने उसे देखा कि तो वह बहुत जख्मी हालत में था. उसकी पूंछ को कुत्तों ने काट खाया था. उसके घाव में कीड़े पड़ गए थे. वो इतना कमजोर और बीमार था कि खुद से चल सकने की हालत में भी नहीं था.
थेप्पकाडू एलिफेंट कैंप तमिलनाडु सरकार के वन विभाग द्वारा चलाया जाने वाला एक सरकारी कैंप है जहां अनाथ और अपने झुंड से बिछड़ गए हाथियों को रखा और उनकी देखभाल की जाती है.
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उसी गांव में रह रहा बोमन का परिवार पुश्तों से हाथियों की देखभाल करता आ रहा है. जब रघु को उस कैंप में लाया जाता है तो उसकी देखभाल का जिम्मा मिलता है बोमन और उसके साथ गांव की एक और विधवा स्त्री बेली को.
बेली कहती हैं कि जब मैं पहली बार रघु से मिली तो वह अपने मुंह में दबाकर मेरी साड़ी खींच रहा था. बिलकुल किसी छोटे बच्चे की तरह. मुझे उसका प्यार महसूस हुआ.
बेली की कहानी भी कम तकलीफदेह नहीं. उसके पहले पति को बाघ खा गया था. उसकी बेटी की कुछ समय पहले मौत हो गई. जब वह रो रही थी तो नन्हा रघु आकर उसके पास में खड़ा हो गया और अपनी सूंड़ से उसके आंसू पोंछने लगा. बेली कहती हैं कि इसे सब समझ आता है. मेरी बेटी जब रघु की उम्र की थी तो ऐसी ही थी. रघु की देखभाल करना अपनी बेटी की देखभाल करने जैसा है. ऐसा लगता है कि वो मेरी जिंदगी में वापस आ गई है.
फिल्म में एक दृश्य है, जहां बेली और बोमन दोनों रघु को खाना खिला रहे हैं और रघु वैसे ही खाने में नखरे कर रहा है, जैसे छोटे बच्चे करते हैं. बेली उसे जौ के गोले खिलाने की कोशिश कर रही हैं और रघु वो फेंक देता है क्योंकि उसे तो नारियल और गुड़ के लड्डू खाने हैं और वो लड्डू उसने खाने की बाल्टी में रखे देख लिए हैं.
रघु की सारी हरकतें, शैतानियां, नखरे सबकुछ बिलकुल किसी छोटे बच्चे की तरह हैं. बेली कहती हैं कि वो सचमुच बच्चे जैसा ही है. बहुत भावुक और प्यार करने वाला. बस इतना ही है कि वो इंसानों की तरह बोल नहीं सकता. बोमन हाथियों के बारे में कहते हैं कि वो बेहद बुद्धिमान और भावुक प्राणी होते हैं. हाथियों के बारे में लोगों में बहुत सारी गलतफहमियां भी हैं. अगर हम उन्हें प्यार दें तो वो भी हमें बहुत सारा प्यार देते हैं.
रघु जब कैंप में आया था तो उसकी हालत इतनी खराब थी कि लोगों को यकीन नहीं था कि वो बच पाएगा. लेकिन बोमन और बेली ने उसकी ऐसे देखभाल की, जैसे कोई अपने सगे बच्चे की करता है. उनके प्यार, कोशिशों और मेहनत का नतीजा ये हुआ वह न सिर्फ बच गया, बल्कि तीन साल के भीतर अच्छा-खासा स्वस्थ और कद्दावर हाथी बन गया.
फिल्म में और भी बहुत कुछ है. 40 मिनट की कहानी हमें जंगल और प्रकृति की दुनिया के ऐसे-ऐसे कोनों में लेकर जाती है कि अपनी आसपास की देखी-जानी दुनिया को लेकर शुबहा होने लगता है. अगर धरती इतनी सुंदर थी तो उसकी यह तबाही किसने की. दारोमदार हम इंसानों पर ही है.
डॉक्यूमेंट्री में एक जगह बेली कहती हैं कि हम कट्टूनायकनों के लिए जंगल का हित सबसे ऊपर है. हम जंगल मे नंगे पैर चलते हैं. यह हमारा इसको सम्मान दिखाने का एक तरीका है. हम जंगल से उतना ही लेते हैं, जितनी जरूरत होती है.
यह फिल्म उन सारी चीजों की याद दिलाती है, जो विकास की अंधी दौड़ में हमने खो दी. सदियों से मनुष्यों का जीवन, आदिवासियों और हमारे पूर्वजों का जीवन प्रकृति, जानवर और मनुष्यों के शांतिपूर्ण सहअस्तित्व पर टिका रहा है. हमने प्रकृति से लिया तो बदले में उसे सहेजा भी, संभाला भी. आज मनुष्य अपने लालच में न सिर्फ प्रकृति, बल्कि बाकी जीव-जंतुओं को भी नष्ट करने पर तुला हुआ है.
बोमन, बेली और रघु की कहानी बस एक छोटा सा रिमाइंडर है उन बातों का, जो आगे बढ़ते हुए हमें भूल नहीं जाना चाहिए और पीछे नहीं छोड़ देना चाहिए.