कैसे शुरू हुआ था ‘हमेशा रिश्ते बनाने वाली’ वाघ बकरी चाय की जायकेदार मिठास का सफर
आज वाघ बकरी चाय देश के करीब 20 राज्यों में अपना कारोबार फैला चुकी है. कंपनी की बिक्री का 90 फीसदी हिस्सा, टीयर 2 और टीयर 3 शहरों से आता है.
चाय की चुस्की का अपना ही मजा है. कुछ लोग तो चाय के इतने बड़े प्रेमी होते हैं कि अगर दिन की शुरुआत में चाय न मिले तो उन्हें कुछ अधूरा-अधूरा सा लगता है. आज तमाम तरह की चाय मौजूद हैं, जैसे कि अदरक वाली चाय, इलायची चाय, मसाला चाय, असम चाय, दार्जिलिंग चाय, ग्रीन टी, हर्बल टी, ब्लैक टी आदि. चाय के ब्रांड्स की बात करें तो ये भी बहुतायत में हैं, फिर चाहे बात छोटे मोटे ब्रांड की हो या फिर नामी गिरामी.
आज हम आपको बताने जा रहे हैं 100 साल पुरानी चाय
की जर्नी के बारे में..देश की टॉप 3 पैकेज्ड टी कंपनियों में से एक वाघ बकरी टी ग्रुप अपनी प्रीमियम चाय के लिए जाना जाता है. वैसे तो चाय कारोबार में इस ग्रुप के मालिक 1892 से हैं लेकिन भारत में इस ग्रुप की शुरुआत 100 साल पहले हुई थी.1892 से शुरू हुई कहानी
साल 1892 में नारणदास देसाई (Narandas Desai) नाम के एंटरप्रेन्योर दक्षिण अफ्रीका में जाकर 500 एकड़ के चाय बागानों के मालिक बने. वहां उनका जुड़ाव महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) से हुआ. उस वक्त दक्षिण अफ्रीका भी भारत की ही तरह अंग्रेजों के अधीन था. दक्षिण अफ्रीका में नारणदास देसाई ने 20 साल बिताए और चाय की खेती, प्रयोग, टेस्टिंग आदि सब किया. नारणदास ने दक्षिण अफ्रीका में व्यवसाय के मानदंडों के साथ.साथ चाय की खेती और उत्पादन की पेचीदगियों को सीखा.
लेकिन फिर वह दक्षिण अफ्रीका में नस्लीय भेदभाव के शिकार हो गए. पहले तो वह इस सबका मुकाबला और विरोध करते रहे लेकिन धीरे-धीरे नस्लीय भेदभाव की घटनाएं बढ़ गईं. मजबूर होकर नारणदास को दक्षिण अफ्रीका छोड़कर भारत लौटना पड़ा. वह कुछ कीमती सामान के साथ 1915 में भारत लौट आए. उनके साथ महात्मा गांधी का एक प्रमाण पत्र भी था. महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में सबसे ईमानदार और अनुभवी चाय बागान के मालिक होने के लिए नारणदास को यह दिया था.
1919 में शुरू किया गुजरात चाय डिपो
भारत लौटने के बाद नारणदास ने सन 1919 में अहमदाबाद में गुजरात टी डिपो शुरू किया. अपनी चाय को स्थापित करने में उन्हें 2 से 3 साल लग गए. फिर कारोबार ने रफ्तार पकड़ी और कुछ ही सालों में वह गुजरात के सबसे बड़े चाय निर्माता बन गए. बाघ व बकरी वाले लोगो के साथ सन 1934 में गुजरात टी डिपो ने ‘वाघ बकरी चाय’ ब्रांड लॉन्च किया.
पैकेज्ड चाय लॉन्च करने वाली पहली भारतीय कंपनी
1980 तक गुजरात टी डिपो ने थोक में और 7 खुदरा दुकानों के माध्यम से रिटेल में चाय बेचना जारी रखा. यह पहला ग्रुप था जिसने पैकेज्ड चाय की जरूरत को पहचाना और 1980 में गुजरात टी प्रोसेसर्स एंड पैकर्स लिमिटेड को लॉन्च किया. साल 2003 आते-आते वाघ बकरी ब्रांड गुजरात का सबसे बड़ा चाय ब्रांड बन चुका था.
किन-किन प्रॉडक्ट की कर रही बिक्री
वाघ बकरी टी ग्रुप वाघ बकरी, गुड मॉर्निंग, मिली और नवचेतन ब्रांड के तहत विभिन्न तरह की चाय की बिक्री करता है. जैसे कि वाघ बकरी- गुड मॉर्निंग टी, वाघ बकरी-मिली टी, वाघ बकरी- नवचेतन टी, वाघ बकरी- प्रीमियम लीफ टी आदि. आइस टी, ग्रीन टी, ऑर्गेनिक टी, दार्जिलिंग टी, टी बैग्स, फ्लेवर्ड टी बैग्स, इंस्टैंट प्रीमिक्स आदि की भी पेशकश की जाती है. वाघ बकरी टी ग्रुप की मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटीज की क्षमता 2 लाख किलो प्रतिदिन और सालाना 4 करोड़ किलो चाय के उत्पादन की है. ग्रुप के प्रोफेशनल्स भारत में 15000 से ज्यादा चाय बागानों में से बेहतरीन चाय को चुनते हैं और डायरेक्टर खुद चाय को टेस्ट करते हैं. वर्तमान में वाघ बकरी टी ग्रुप का टर्नओवर 1500 करोड़ रुपये से ज्यादा का है.
देश के 20 राज्यों में कारोबार, 40 से ज्यादा देशों में एक्सपोर्ट
आज वाघ बकरी चाय देश के करीब 20 राज्यों में अपना कारोबार फैला चुकी है. कंपनी की बिक्री का 90 फीसदी हिस्सा, टीयर 2 और टीयर 3 शहरों से आता है. पूरे देश में वाघ बकरी चाय के 30 टी लाउंज और कैफे हैं. जहां तक एक्सपोर्ट की बात है तो वाघ बकरी चाय का एक्सपोर्ट 40 से ज्यादा देशों में किया जा रहा है.