कभी भारत के हर घर में दिखता था Dhara रिफाइंड...34 साल पहले ऐसे शुरू हुआ सफर
आज भले ही धारा ब्रांड, मदर डेयरी के स्वामित्व में आता हो लेकिन पहले ऐसा नहीं था. धारा ब्रांड की शुरुआत ऑपरेशन गोल्डन फ्लो से हुई थी.
मदर डेयरी (Mother Dairy) ने धारा सोयाबीन तेल और धारा चावल भूसी तेल के MRP को 14 रुपये प्रति लीटर तक कम कर दिया है. कीमतों में कटौती के बाद धारा रिफाइंड सोयाबीन तेल (Poly Pack) 194 रुपये प्रति लीटर की मौजूदा कीमत की तुलना में 180 रुपये प्रति लीटर में उपलब्ध होगा. वहीं, धारा रिफाइंड चावल भूसी (Poly Pack) तेल की कीमत 194 रुपये प्रति लीटर से घटकर 185 रुपये प्रति लीटर हो जाएगी.
आज भले ही धारा ब्रांड (Dhara Brand), मदर डेयरी के स्वामित्व में आता हो लेकिन पहले ऐसा नहीं था. धारा ब्रांड की शुरुआत ऑपरेशन गोल्डन फ्लो (Operation Golden Flow) से हुई थी. इस ऑपरेशन का मकसद देश को खाने के तेल के मामले में आत्मनिर्भर बनाना था. एक वक्त ऐसा भी था, जब धारा ब्रांड हर घर में दिखता था. कम कीमत के चलते गरीब भी इसे आसानी से खरीद सकता था. आइए जानते हैं धारा रिफाइंड ऑयल के जन्म और इसके एक ब्रांड बनने की पूरी कहानी...
ऑपरेशन गोल्डन फ्लो, नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) का प्रोग्राम था. इस प्रोग्राम की मदद से स्मॉल स्केल ऑयलसीड किसान और NDDB साथ में आए थे. 1970 के दशक के मध्य तक भारत खाने के तेल के प्रॉडक्शन के मामले में लगभग 95 प्रतिशत आत्मनिर्भर था. 1973-74 तक सरसों, मूंगफली और कॉटनसीड तेल की भारत में खाने के तेल की कुल खपत में हिस्सेदारी 96 प्रतिशत थी. इन तेलों का घरेलू उत्पादन स्मॉल स्केल प्रोसेसिंग यूनिट्स और स्थानीय खरीद व डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क्स के जिम्मे था. लेकिन बाद में यह आत्मनिर्भरता घटती चली गई और इंपोर्ट पर निर्भरता बढ़ती गई.
23 अगस्त, साल 1988
साल 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच में लड़ाई हुई और इसके अगले ही साल सूखा पड़ गया. इन दोनों घटनाओं की वजह से भारत में दूध, घी और खाने के तेल की बेहद ज्यादा कमी हो गई. हालांकि तब तक वनस्पति व हाइड्रोजेनेटेड वेजिटेबल तेल मार्केट में आने लगे थे. साल 1977 में जब जनता पार्टी देश की सत्ता में आई तो तत्कालीन वित्त मंत्री हीरूभाई एम पटेल ने देश में श्वेत क्रांति/दुग्ध क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन (Dr. Varghese Kurian) से खाने के तेल के मामले में भी ऐसी ही क्रांति करने की अपील की. इसके बाद नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) ने 23 अगस्त 1988 को धारा को लॉन्च किया.
यूं बना सबसे बड़ा खाद्य तेल ब्रांड
धारा ने लॉन्च होने के 3 से 4 सालों के अंदर ही खाद्य तेल में संगठित बाजार के आधे से ज्यादा हिस्से पर कब्जा जमा लिया. धारा पहला ब्रांड था, जो सबसे पहले टैम्पर प्रूफ पैक लेकर आया था. साल 2003 तक धारा के डिस्ट्रीब्यूशन का अधिकार अमूल वाली गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (GCMMF) के पास था. फिर NDDB, धारा ब्रांड को मदर डेयरी के स्वामित्व में ले आया. मदर डेयरी, NDDB की पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडियरी है.
1990 के दशक में धारा सबसे बड़ा खाद्य तेल ब्रांड बन गया. 80 के दशक में धारा रिफाइंड ऑयल सब्सिडाइज था, जिसके चलते यह देश का सबसे ज्यादा बिकने वाला खाद्य तेल ब्रांड बन चुका था. 1990 के दशक की शुरुआत में यह सब्सिडी विदड्रॉ कर ली गई. लेकिन तब तक लोगों के बीच में धारा की इमेज 'राशन' तेल वाली बन गई थी. इसलिए कोई भी इसकी पुरानी कीमत से अधिक नहीं देना चाहता था. इसके चलते धारा की बिक्री को भारी गिरावट झेलनी पड़ी.
बिक्री बढ़ाने को आया 'जलेबी' एड और मच गया धमाल
धारा की बिक्री में तगड़ी गिरावट ने चिंता पैदा कर दी थी. बिक्री को बूस्ट देने के लिए एक ऐसे विज्ञापन की जरूरत थी जो लोगों को फिर से धारा से जोड़ सके. इसके बाद 1990 के दशक की शुरुआत में धारा का 'जलेबी' वाला विज्ञापन लॉन्च हुआ. यह विज्ञापन लगातार 5 सालों तक टीवी पर ब्रॉडकास्ट हुआ. एक छोटे बच्चे और जलेबी के लिए उसके प्यार पर बेस्ड धारा के इस विज्ञापन ने भारतीयों के दिलों को कुछ इस कदर मोह लिया कि धारा की पॉपुलैरिटी और बिक्री को तगड़ा बूस्ट मिला.
कैसे गंवाया मार्केट शेयर
2000 के दशक की शुरुआत से धारा ब्रांड का मार्केट शेयर कम होना शुरू हुआ. इसके पीछे एक बड़ा कारण रहा 1998 में मिली आयात की अनुमति और दूसरा बड़ा कारण रहा अगस्त 1998 में सामने आया दिल्ली का Argmeone अडल्टरेशन ड्रॉप्सी केस. अगस्त 1998 में दिल्ली में अडल्टरेटेड खाद्य सरसों तेल के सेवन से 60 लोगों की मौत हुई थी और 3000 लोग बीमार पड़े थे. यह घटना सरसों तेल बेचने वाले सभी डॉमेस्टिक ब्रांड्स के लिए एक बड़ा झटका साबित हुई. घटना के बाद सरकार ने लूज सरसों तेल पर प्रतिबंध लगा दिया. ड्रॉप्सी केस की चपेट में धारा सरसों तेल भी आया और NDDB ने खुद लोगों से धारा सरसों तेल का सेवन न करने की अपील की. इसके लिए विज्ञापन जारी किए गए.
ड्रॉप्सी केस सिलसिले में 2017 में दिल्ली के एक कोर्ट ने NDDB पर धारा सरसों तेल की मैन्युफैक्चरिंग में अडल्टरेशन के लिए 2.4 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया. कोर्ट ने GCMMF पर भी 60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था. ड्रॉप्सी केस के कारण ग्राहक स्वच्छ या शुद्ध खाद्य तेल पर शिफ्ट हो गए. इस घटनाक्रम के 20 साल बाद स्थिति ऐसी हो गई कि भारत में खाद्य तेल खपत का 70 फीसदी इंपोर्ट होने लगा.
आज का धारा ब्रांड कहां
ड्रॉप्सी केस की वजह से धारा ब्रांड की छवि काफी खराब हुई और इसकी चमक कहीं खो गई. इस बीच मार्केट में आए अन्य खाद्य तेल/रिफाइंड ऑयल ब्रांड्स ने धारा को पीछे धकेल दिया लेकिन यह मार्केट से विदा नहीं हुआ. धारा ने अपने मुश्किल दौर से गुजरकर कमबैक किया और यह अभी भी खाद्य तेल बाजार में एक प्रमुख ब्रांड बना हुआ है. आज धारा ब्रांड के तहत रिफाइंड वेजिटेबल तेल, रिफाइंड सनफ्लॉवर तेल, रिफाइंड सोयाबीन तेल, रिफाइंड राइस ब्रान तेल, रिफाइंड मूंगफली तेल, कच्ची घानी सरसों तेल, फिल्टर्ड रिफाइंड मूंगफली तेल, फिल्टर्ड सरसों तेल, फिल्टर्ड जिंजेली तेल और वर्जिन ऑलिव ऑयल शामिल हैं.