इन छोटे-छोटे उपायों को अपनाकर अपने ऑफिस को बनाएं तरक्की वाला ऑफिस
आइए इस लेख में जाने कि आप अपने ऑफिस के वास्तु-संरचना को कैसे बनाए जिससे कि आपका ऑफिस आपकी उन्नति में सहायक हो। हर स्थान का एक उद्देश्य होता है। ऑफिस का उद्देश्य व्यापार, कार्यकुशलता और प्रगति होता है। ऑफिस को वास्तु-सम्मत बनाने से इन उद्देश्यों की पूर्ती होती है।
वास्तु की सूक्ष्म उर्जाएं हमारी प्रगति में सहायक हैं। हमारा घर और ऑफिस वास्तु के अनूसार व्यवस्थित है तो जीवन में उत्तरोत्तर प्रगति अवश्य होती है। क्रमागत उन्नति ही मानव जीवन का उद्देश्य है। वास्तु-विज्ञान से आप पंचतत्वों के संतुलन से किसी भी स्थान को उन्नतिकारक बना सकते हैं। पिछले लेख में हमने घर को तरक्की वाला घर कैसे बनाएं इस पर चर्चा की थी।
आइए इस लेख में जाने कि आप अपने ऑफिस के वास्तु-संरचना को कैसे बनाए जिससे कि आपका ऑफिस आपकी उन्नति में सहायक हो। हर स्थान का एक उद्देश्य होता है। ऑफिस का उद्देश्य व्यापार, कार्यकुशलता और प्रगति होता है। ऑफिस को वास्तु-सम्मत बनाने से इन उद्देश्यों की पूर्ती होती है।
अगर आप एक नया ऑफिस ढूंढ रहें है तो ऐसे भवन में ढूंढें जो उत्तर, उत्तर-पूर्व या उत्तर- पश्चिम मुखी हो। इसका मतलब बिल्डिंग के सन्दर्भ में मुख्य-मार्ग इन दिशाओं में हो। इन दिशाओं से अच्छे भाग्य और सकारात्मक उर्जाओं का संचय होता है। कई बार हम ऑफिस के लिए एक शांत क्षेत्र ढूंढने लगते हैं जो व्यापार के उद्देश्य से सम्मत नहीं है।
ऐसे भवन का चुनाव करें जो व्यस्त सड़क पर हो और जहाँ बहुत अधिक गतिविधियाँ हो रही हों। अगर संभव हो तो भवन में ऐसी ईकाई का चयन करें जो शेर मुखी हो यानी कि आगे से चौड़ी और पीछे से कम चौड़ी हो। व्यवसाय के लिए इस तरह का भवन या इकाई सर्वश्रेष्ठ होते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसा भवन जिसका मुख्यद्वार उत्तर या पूर्व में हो वो सर्वोत्तम होता है।
भवन के मुख्य द्वार के सामने कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। कई बार मुख्य द्वार के सामने ट्रांसफार्मर या जनरेटर रख दिया जाता है, इसके कारण वास्तु की प्राण उर्जा बाधित होती हैं और व्यवसाय में नुकसान करती है।
ऑफिस का रिसेप्शन और आंगतुकों के बैठने का स्थान पश्चिम या उत्तर पूर्व में श्रेष्ठ होता है। भवन का मध्य में खुला स्थान होना भी उर्जाओं के चारो दिशाओं में संतुलित वितरण में सहायक है। ऑफिस के मालिक का रूम दक्षिण-पश्चिम में हो और मालिक उत्तर मुखी होकर अपने केबिन में बैठे तो उसकी कार्य-कुशलता और लाभकारी निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।
कई मालिक अपने पीछे मंदिर बना लेते हैं जो कि वास्तु अनुसार सही नहीं है। आपके पीछे एक ठोस दीवार होनी चाहिए। खिड़की या कांच की दीवार सही नहीं होती है। मालिक को आयताकार टेबल का उपयोग करना चाहिए। ऑफिस में कार्यरत कर्मचारियों को भी उत्तर या पूर्व मुखी हो कर बैठना चाहिए इससे वे अधिक क्षमता से अपने कार्य का संपादन कर पाएंगे। बिजली से चलने वाले उपकरण जैसे इंवर्टर, सर्वर, स्टेबलाइजर आदि दक्षिण-पूर्व में ही रखें।
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सांकेतिक चित्र
ऑफिस का लेखा-विभाग (एकाउंट्स) उत्तर, पूर्व या दक्षिण-पूर्व में रखें और जो कर्मचारी बैंक संबंधी कार्य करते हैं उनको उत्तर मुखी या पूर्व मुखी होकर ही बैठना चाहिए। उतर-पश्चिम में आप गोष्ठी-कक्ष या कांफ्रेंस रूम बना सकते हैं।
वास्तु-शास्त्र के अनुसार टॉयलेट का स्थान का अत्याधिक महत्व है। व्यवसाय में सफलता के लिए ऑफिस के उत्तर-पूर्व, उत्तर-पश्चिम, मध्य, पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम में टॉयलेट नहीं होना चाहिए। सकरात्मक उर्जाओं के संचार के लिए ऑफिस का सुव्यवस्थित होना ज़रूरी है। इसका मतलब ऑफिस में किसी भी कोने में कूड़ा-करकट नहीं होना चाहिए। ऑफिस में पैंट्री का स्थान, दक्षिण-पूर्व या दक्षिण है, पैंट्री कभी भी उत्तर या उत्तर-पूर्व में नहीं होना चाहिए।
इसी तरह इन दोनों दिशाओं में लाल, पिंक, बैंगनी रंग की दीवारें नहीं होनी चाहिए। ऑफिस के दक्षिण और दक्षिण-पूर्व क्षेत्र में नीला रंग नहीं होना चाहिए। व्यवसाय की सफलता के लिए, अपने नेटवर्क का सहयोग जरूरी है, इसके लिए आप ऑफिस के उत्तर-पश्चिम में मार्बल के बने सफ़ेद घोड़ों की जोड़ी अवश्य रखें। अगर आपके व्यवसाय में सरकार के सहयोग की आवश्यकता है तो एक अशोक स्तम्भ भी उत्तर-पश्चिम में रखें।
ऑफिस की सज्जा के लिए और व्यवसाय में लाभकारी उर्जाओं के संचार के लिए आप उत्तर-पूर्व में एक मछलीघर रख सकते हैं जिसमे नौ गोल्डफिश और एक ब्लैकफिश तैर रही हो।
इस प्रकार आप इन छोटे-छोटे उपायों के द्वारा अपने ऑफिस को भी बना सकते हैं – तरक्की वाला ऑफिस।
आचार्य मनोज श्रीवास्तव ऐसे वास्तु कंसलटेंट और ज्योतिषी हैं जिनको बीस साल से ज्यादा का कॉर्पोरेट लीडरशिप का अनुभव है। वे पूर्व में एयरटेल, रिलायंस और एमटीएस जैसे बड़े कॉर्पोरेट हाउस में वरिष्ठ पदों पर कार्यरत रहे हैं। आजकल वे पूर्ण रूप से एक वास्तु कंसलटेंट और ज्योतिषी के रूप में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं।
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