50 वर्ष से अधिक उम्र के ज्यादातर भारतीय शिंगल्स बीमारी से अनजान, जोखिम के बावजूद जागरूकता की कमी: सर्वे
शिंगल्स जागरूकता सप्ताह (24 फरवरी से 2 मार्च, 2025) की शुरुआत के मौके पर लॉन्च सर्वे के नतीजे दिखाते हैं कि लोगों में बढ़ती उम्र से जुड़े स्वास्थ्य संबंधी खतरों को लेकर बहुत सीमित जागरूकता है. विशेषरूप से ऐसे लोगों में भी जागरूकता की कमी है, जिन्हें पहले से कोई स्वास्थ्य संबंधी परेशानी है.
एक नए सर्वे में सामने आया है कि 50 साल या इससे ज्यादा उम्र के 56.6% भारतीय शिंगल्स बीमारी के बारे में बहुत कम या कुछ नहीं जानते हैं, जबकि इस उम्र के 90% से ज्यादा लोगों के शरीर में इसका वायरस है और उन्हें शिंगल्स होने का खतरा है. वैश्विक स्तर पर मात्र 44% लोगों को शिंगल्स के बारे में कुछ जानकारी है.
शिंगल्स जागरूकता सप्ताह (24 फरवरी से 2 मार्च, 2025) की शुरुआत के मौके पर लॉन्च सर्वे के नतीजे दिखाते हैं कि लोगों में बढ़ती उम्र से जुड़े स्वास्थ्य संबंधी खतरों को लेकर बहुत सीमित जागरूकता है. विशेषरूप से ऐसे लोगों में भी जागरूकता की कमी है, जिन्हें पहले से कोई स्वास्थ्य संबंधी परेशानी है.
भारत में सर्वे में भाग लेने वाले 61% लोगों ने बताया कि उन्हें डायबिटीज, सीओपीडी, अस्थमा, कार्डियोवस्कुलर डिसीज या क्रोनिक किडनी डिसीज जैसी कोई समस्या है. हालांकि मात्र 49.8% ने ही शिंगल्स होने को लेकर कोई चिंता जताई. वैश्विक स्तर पर 54% लोग किसी न किसी क्रोनिक बीमारी का शिकार हैं, लेकिन मात्र 13% ने ही शिंगल्स को लेकर चिंता व्यक्त की.
जीएसके इंडिया की मेडिकल डायरेक्टर डॉ. शालिनी मेनन ने कहा, “जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, बीमारियों से लड़ने की हमारी क्षमता कम होती जाती है, जिससे शिंगल्स जैसी कई बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है. जब बढ़ती उम्र के साथ कुछ क्रोनिक बीमारियां भी हो जाती हैं, तो खतरा और भी बढ़ जाता है. सर्वे में सामने आया है कि 50 साल से ज्यादा उम्र के अधिकतर लोग इन खतरों से अनजान हैं, जो चिंता बढ़ाने वाली बात है. बढ़ती उम्र के लोगों के लिए यह समझना जरूरी है कि उम्र उनके स्वास्थ्य पर किस तरह से असर डालती है. इन खतरों को समझना और बचाव के कदम उठाना जरूरी है. इनमें स्वस्थ खानपान (हेल्दी डाइट) अपनाना, नियमित रूप से व्यायाम करना, लक्षणों को शुरुआती स्तर पर ही समझना, समय-समय पर स्वास्थ्य जांच कराना और अपने चिकित्सकों से उपलब्ध टीकों के बारे में विमर्श करने जैसे कदम शामिल हैं. जागरूकता और सक्रियता से उठाए गए कदमों की मदद से हम बढ़ती उम्र के लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर रखने में सक्षम हो सकते हैं.”
सर्वे में 50 वर्ष व उससे अधिक आयु के भारतीयों के बीच स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता एवं व्यवहार में उल्लेखनीय अंतर देखने को मिला. इस उम्र के आधे से ज्यादा (55.7%) प्रतिभागी खुद को अपनी उम्र से युवा अनुभव करते हैं. 24% खुद की उम्र को 10 साल तक कम अनुभव करते हैं और मात्र 25% लोग ही बढ़ती उम्र के साथ होने वाली बीमारियों को लेकर जागरूक हैं और इसके प्रभाव को कम करने के लिए सक्रियता से कदम उठाते हैं. स्वास्थ्य को लेकर अनुमान और वास्तविक स्वास्थ्य के बीच का अंतर चिंताजनक है, क्योंकि इससे उम्र से संबंधित बीमारियों को लेकर सक्रियता से कदम न उठाने का खतरा बढ़ जाता है. इसमें शिंगल्स जैसी संक्रामक बीमारियों का खतरा भी शामिल है. इस सर्वे से उम्र के साथ स्वास्थ्य संबंधी बेहतर आदतों को बढ़ावा देने और ज्यादा जागरूकता की जरूरत सामने आई है.
इंटरनेशनल फेडरेशन ऑन एजिंग (आईएफए) ने भी 50 साल और उससे ज्यादा उम्र के लोगों के बीच स्वास्थ्य को लेकर सक्रियता से निगरानी रखने के महत्व पर जोर दिया, विशेषरूप से इसलिए क्योंकि उम्र के साथ उनका इम्यून सिस्टम प्राकृतिक तौर पर कमजोर हो जाता है.
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