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समाज के कमजोर तबके के लोगों को समर्थन देने के लिए खादी ग्रामोद्योग ने त्रिपुरा में वितरित किए मिट्टी के बर्तन और चर्मकारी के औजार

समाज के कमजोर तबके के लोगों को समर्थन देने के लिए खादी ग्रामोद्योग ने त्रिपुरा में वितरित किए मिट्टी के बर्तन और चर्मकारी के औजार

Friday December 27, 2019 , 2 min Read

खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) अगरतला में समाज के कमजोर तबके के लोगों को समर्थन देने के लिए किसानों, कुम्हारों और चर्मशिल्पकारों को अपना कामधंधा शुरू करने के लिए मधुमक्खी पालने की पेटियां, मिट्टी बर्तन बनाने के चाक, और चमड़े के सामान तैयार करने के उन्नत औजार वितरित किए हैं। इसके लिए हाल ही में कार्यक्रम एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया।


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फोटो क्रेडिट: Patrika


त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने इस अवसर पर उम्मीद जताई कि वितरित किये गये साजो-सामान और उपकरणों तथा क्षमता विकास अभियान से 700 लोगों को रोजगार मिलेगा।


उन्होंने कहा कि

‘‘शहद मिशन, 'चमड़ा कारीगरों का सशक्तीकरण' और 'कुम्हार सशक्तिकरण मिशन' जैसे कार्यक्रम न केवल समान के कमजोर तबके के लोगों का आत्मविश्वास बढ़ाएंगे, बल्कि उन्हें मजबूती प्रदान करने के प्रयासों को जरूरी बढ़ावा देंगे।’’

केवीआईसी ने कहा कि

‘‘उपकरण वितरण के लाभार्थियों में से लगभग 20 प्रतिशत महिलाएं थीं, और कुल लाभार्थियों में से लगभग 80 प्रतिशत गरीब और सीमांत परिवारों के हैं।’’





आपको बता दें कि इससे पहले खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने राजस्थान के बूंदी जिले में मधुमक्खी पालन के 500 बक्सों, मिट्टी के बर्तन बनाने की 500 चाकों और चमड़े की 500 किटों का वितरण किया था।  


केवीआईसी के अध्यक्ष श्री वी. के. सक्सेना ने कहा, 

‘‘इस आयोजन का उद्देश्य ग्रामीण शिल्पकारों को शक्तिसम्पन्न बनाना और मधु पालन, कुम्हारी तथा चमड़े की शिल्पकारी के मद्देनजर उनमें आत्मविश्वास पैदा करना है। प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप हमारा प्रयास है कि इन सबको आजीविका के अवसर प्रदान किये जाएं। इसके साथ उन ग्रामीण किसानों को आय का वैकल्पिक स्रोत भी प्रदान करने का उद्देश्य है, जो या तो श्रमिक बन जाते हैं या दैनिक मजदूरी के लिए बड़े शहरों को पलायन कर जाते हैं।’’

इस आयोजन में राजस्थान के झालावाड़, कोटा और बूंदी जिलों के शिल्पकारों ने बड़ी तादाद में हिस्सा लिया। लाभार्थियों ने श्री ओम बिरलाऔर श्री वी. के. सक्सेना को दिल्ली से यहां तक आकर गांव में बिजली से चलने वाले चाकों को वितरित करने के लिए धन्यवाद दिया। इस नए चाक में मेहनत कम लगती है और बेहतर उत्पाद तैयार होते हैं। उत्पाद बनाने के समय में भी कमी आती है।


(Edited by रविकांत पारीक )