Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

मिलें कश्मीर के ‘रीयल लाइफ हीरो’ रऊफ अहमद डार से

मिलें कश्मीर के ‘रीयल लाइफ हीरो’ रऊफ अहमद डार से

Tuesday June 04, 2019 , 4 min Read

कश्मीर में लिद्दर नदी की तेज लहरों में डूबते दो विदेशियों समेत सात पर्यटकों को बचाकर खुद प्राण दे बैठे रऊफ अहमद डार। 'इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत' का यही मंत्र तो कभी अटल बिहारी वाजपेयी दे गए थे और पीएम नरेंद्र मोदी भी कहते हैं कि कश्मीरी युवाओं के पास दो रास्ते हैं - टूरिज्म या टेररिज्म।
rauuf ahmed dar

रऊफ अहमद डार



यही तो है कश्मीरियत। 'इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत', ये नारे जैसे तीन शब्द हैं पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के। कायनात की जन्नत कहे जाने वाले मुद्दत से खौलते जम्मू-कश्मीर की तरक्की के लिए उन्होंने यह मंत्र दिया था। जब भी कश्मीर के लोगों के बीच इन तीन शब्दों का जिक्र आता है, उनकी भावनाएं उमड़ पड़ती हैं। 'इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत' की कल ताज़ा इबारत लिखी है कि टूरिस्ट गाइड रऊफ अहमद डार ने। उन्होंने अपनी जान पर खेलकर दो विदेशियों समेत सात पर्यटकों की जान बचा ली। एक तरफ कश्मीर में आतंकी दहशत का माहौल पैदा करते हैं, तो रऊफ जैसे साहसी युवक कुर्बानी और साम्प्रदायिक सौहार्द्र की नई नज़ीर कायम कर देते हैं।


'इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत' की मिसाल बना ताज़ा वाकया है दक्षिण कश्मीर जिले में मावुरा के समीप लिद्दर नदी का, जिससे पश्चिम बंगाल के दो पर्यटकों और दो विदेशियों सहित सात लोगों को बचाने के लिए बहादुर रऊफ ने अपनी जान दे दी। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने रऊफ के परिजनों को पांच लाख मुआवजा देने का ऐलान किया है। लिद्दर नदी गान्दरबल ज़िले में सोनमर्ग शहर से दो किलो मीट दक्षिण में स्थित कोलाहोइ हिमानी से 4653 मीटर की ऊँचाई पर शुरू होती है। वहाँ से वह एक पहाड़ी मैदान लिद्दरवाट से गुज़रती हुई सनोबर से ढकी पहाड़ियों पहुंचती है।


आगे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल आरू से होती हुई तीस किमी दूर पहलगाम पहुँचती है। वहाँ उसका संगम शेषनाग झील से होता है। आगे वह गुरनार ख़ानाबल गाँव में झेलम में मिल जाती है। लिद्दर नदी का पानी स्वच्छ और किशनगंगा नदी के पानी जैसा नीला दिखता है। इसमें से सिंचाई की शाह कोल आदि कई नहरें निकली हैं। लिद्दर नदी ट्राउट जैसी नाना प्रकार की मछलियों से दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती रहती है।





कल वारदात के वक्त पर्यटकों की नौका उसी लिद्दर नदी में अचानक तेज हवाओं के झोंके में फंसने के बाद मावुरा के समीप पलट गई। पंजीकृत पेशेवर राफ्टर रऊफ अहमद डार ने अपनी जान की परवाह न करते हुए नदी में छलांग लगा दी। श्रीनगर से 96 किलोमीटर दूर पहलगाम में शुक्रवार शाम को जब यह घटना हुई, उस समय नौका में तीन स्थानीय लोग, दो विदेशी और पश्चिम बंगाल का एक दंपति सवार था। अधिकारियों के मुताबिक, रऊफ ने सातों पर्यटकों को तो बचा लिया लेकिन उसके तुरंत बाद उनकी खोज शुरू हुई। राज्य आपदा त्वरित बल की टीमों ने पुलिस तथा स्थानीय लोगों के साथ मिलकर खोज अभियान चलाया। अंधेरे के कारण देर रात तक जारी अभियान रोकना पड़ा। शनिवार सुबह बहादुर रऊफ का शव भवानी पुल के पास मिला।


इस तरह रऊफ सात लोगों के प्राण बचाते हुए, अपनी जान देकर 'इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत' की नई नज़ीर लिख गए। इसी कश्मीर में कभी एक सुरंग के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि 'कश्मीरी नौजवान जो रास्ता चाहें, चुन लें। उनके पास दो रास्ते हैं - टूरिज्म या टेररिज्म। एक तरफ कुछ नौजवान पत्थर मारने में लगे हैं और कुछ ने पत्थर काट कर यह सुरंग बना दी।' 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से भी उन्होंने कश्मीर नीति पर कहा था कि 'पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कश्मीोर के लिए नया सिद्धांत दिया था, जिसे 'वाजपेयी डॉक्ट्रिन' के नाम से जाना जाता है।'


उसी कश्मीरियत की मिसाल कायम करते हुए दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के एक गांव के मुसलमानों ने एक कश्मीरी पंडित का अंतिम संस्कार किया। एक ऐसे ही अन्य वाकये में अशांति के बीच मुस्लिमों और सिखों ने पुलवामा में एक पंडित जोड़ी की शादी कराने में हाथ बंटाकर सांप्रदायिक सौहार्द और भाइचारे का उदाहरण पेश किया। पुलवामा के ही अचन गांव में मुस्लिमों और पंडितों ने मिलकर एक अस्सी साल पुराने मंदिर का पुनर्निर्माण किया।

पश्चिम बंगाल के पर्यटक जोड़े मनीष कुमार सराफ और श्वेता सराफ ने डार का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि रऊफ हमें दूसरी जिंदगी दे गए।


राज्य उपायुक्त खालिद जहांगीर, मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम, पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, प्रदेश कांग्रेस मुखिया जी ए मीर, भाजपा राज्य महासचिव अशोक कौल, पीपुल्स कांफ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन, कश्मीर के डिवीजनल कमिश्नर बशीर खान कहते हैं कि रऊफ ने सही मायनों में कश्मीरियत का प्रदर्शन किया, जो प्यार और भाईचारा सिखाती है। राज्यपाल सत्यपाल मलिक के सलाहकार खुर्शीद गनई कहते हैं कि अपनी जान की परवाह किए बगैर रऊफ ने लिद्दर नदी की तेज लहरों में सात लोगों को डूबने से बचा लिया, जो किसी व्यक्ति का सर्वोच्च बलिदान है। अल्लाह उन्हें जन्नत में आला मुकाम दे।