विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया - भारत को कैसे नेता की जरूरत है?
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने YourStory की फाउंडर और सीईओ श्रद्धा शर्मा के साथ बातचीत में अवसरों और चुनौतियों से निपटने के लिए एक उपयुक्त प्रधानमंत्री के चुनाव के महत्व पर बात की.
हाइलाइट्स
- विदेश मंत्री एस जयशंकर का मानना है कि अगले पांच से दस साल दुनिया के लिए नई चुनौतियां लेकर आएंगे.
- यूक्रेन और गाजा में आतंकवाद के साथ युद्ध के चलते अनिश्चितताएं मंडरा रही हैं.
- विदेश मंत्री ने भारतीयों को ऐसा नेता चुनने की सलाह दी जो भारत को अनिश्चितताओं से उबरने में मदद कर सके.
- भारतीयों को ऐसे नेता की पहचान करनी चाहिए जिसके पास न केवल बड़े विचार हों बल्कि उन्हें लागू करने का ट्रैक रिकॉर्ड भी हो.
दुनिया भर में 2019 के बाद से एक महत्वपूर्ण परिवर्तन देखा गया है - जब पिछला लोकसभा चुनाव हुआ था. तब से सरकार को कई अंतरराष्ट्रीय संकटों से निपटना पड़ा है, जिनमें महामारी, यूक्रेन में युद्ध और पश्चिम एशिया में भड़काव शामिल है, और भारत को उनके प्रभाव से बचाने के लिए अथक प्रयास करना पड़ा है.
इस अवधि के दौरान, भारतीय अर्थव्यवस्था में भी तेजी आई है, स्टार्टअप इस आर्थिक उछाल और रोजगार सृजन के लिए एक प्रमुख इंजन बन गए हैं. आगे चलकर चुनौतियाँ और भी तीव्र होती जा रही हैं, और विदेश मंत्री एस जयशंकर का मानना है कि भारतीयों को इनसे निपटने के लिए एक उपयुक्त नेता की पहचान करने की आवश्यकता है.
केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर कहते हैं, “मेरा मानना है कि अगले पांच साल कठिन होंगे. यूक्रेन में युद्ध है, गाजा में युद्ध चल रहा है, और विश्व स्तर पर आतंकवाद के खतरे हैं. साथ ही, दुनिया भर में जलवायु संकट है. भारत को इस उथल-पुथल से बाहर निकालने के लिए हमें मजबूत हाथों और निश्चित प्रवृत्ति की आवश्यकता है. ऐसे में साहस, अनुभव और आत्म-आश्वासन मदद करेगा.”
भारतीय जनता पार्टी के सदस्य, मंत्री, देश के नागरिकों को भारत का अगला प्रधानमंत्री चुनने से पहले सावधानीपूर्वक विचार करने की सलाह देते हैं. उनका कहना है कि इसका असर भारत के वर्तमान और भविष्य पर पड़ेगा.
भारत 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की तैयारी कर रहा है. BCG और Matrix Partners India की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि मैन्युफैक्चरिंग, सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रिक वाहन और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्र इस 10 ट्रिलियन डॉलर के निवेश का नेतृत्व करेंगे. रिपोर्ट में यह भी अनुमान लगाया गया है कि भारत आगे चलकर हर डेढ़ साल में 1 ट्रिलियन डॉलर जोड़ेगा.
विदेश मंत्री ने भारतीय मतदाताओं से पीछे मुड़कर देखने, आत्मनिरीक्षण करने और इन मापदंडों के आधार पर एक सूचित निर्णय लेने के लिए कहा.
पिछले 10 वर्षों ने रखी अमृत काल की नींव
पिछले 10 वर्षों ने अमृत काल या अमृत के युग की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, यह शब्द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2047 के दृष्टिकोण के रूप में गढ़ा गया है. इसमें देश में सामाजिक-आर्थिक विकास और तकनीकी प्रगति शामिल है जो एक मजबूत अर्थव्यवस्था और नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार के लिए नेतृत्व करेगी. विदेश मंत्री जयशंकर का मानना है कि सरकार द्वारा निर्धारित मजबूत डिलीवरी ट्रैक रिकॉर्ड इस अमृत काल के लिए टेकऑफ़ पॉइंट के रूप में कार्य करता है.
उन्होंने आगे कहा, “भारत को एक ऐसे नेता की ज़रूरत है जो न केवल बड़ा सोचता हो बल्कि दृष्टिकोण को पूरा भी करता हो. लोगों को किसी ऐसे व्यक्ति की पहचान करने की ज़रूरत है जो न केवल सपने देखता है बल्कि सपनों को हकीकत में बदल देता है, उन्हें अमल में लाता है.”
आगे विस्तार से बताते हुए, मंत्री ने आगामी प्रगति का उल्लेख किया जो भविष्य में भारत की आर्थिक समृद्धि के लिए मील का पत्थर साबित होगी. वह बताते हैं कि देश को एक ऐसे नेता की जरूरत है जो बुनियादी जरूरतों को पीछे न छोड़ते हुए उभरते अवसरों का फायदा उठाए.
मंत्री बताते हैं, “यह चिप्स, एआई, ईवी और ड्रोन का युग है, लेकिन हमें इन सभी क्षेत्रों में ‘मेक इन इंडिया’ की जरूरत है. भारत को एक ऐसे नेता की जरूरत है जो ऐसे आगामी अवसरों में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए कार्रवाई योग्य योजनाएं बनाए, जिसे मैं विकसित भारत के लिए मील का पत्थर मानता हूं. ऐसे नेता को भोजन, आश्रय, आवास, बिजली, शिक्षा और कृषि उत्पादन जैसी बुनियादी बातों पर समान रूप से ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है.”
उन्होंने यह भी दोहराया कि देश को ऐसे नेता का चुनाव करना चाहिए जो नागरिकों की दैनिक जरूरतों को नजरअंदाज किए बिना नवाचार और आत्मनिर्भर विनिर्माण को प्राथमिकता दे.
ट्रैक रिकॉर्ड देखना है जरूरी
वे दिन गए जब भारत में निर्णय लेने का काम पूरी तरह से सरकारी कार्यालयों में होता था और बाद में इसे जनता तक पहुंचाया जाता था. मंत्री का कहना है कि मौजूदा सरकार के शासन में हर फैसले को फीडबैक की समीक्षा के बाद ही अंतिम रूप दिया जाता है. वह आगे कहते हैं, इससे प्रस्तावों और विचारों का बेहतर मूल्यांकन होता है.
वह कहते हैं, “हमारी सरकार ने फीडबैक को अच्छे निर्णय लेने का हिस्सा बना दिया है. मैं लोगों को मुझसे बात करने और हर समय मुझे चुनौती देने के लिए प्रोत्साहित करता हूं. मैं उनकी राय के आधार पर कार्रवाई कर सकता हूं या नहीं कर सकता, लेकिन इससे मुझे अपने काम में बेहतर होने में मदद मिलती है.”
मंत्री का मानना है कि मतदाताओं को अपने नेताओं से बात करने और उनके पिछले ट्रैक रिकॉर्ड का विवरण लेने के लिए उसी फीडबैक प्रक्रिया का उपयोग करना चाहिए.
मंत्री कहते हैं, “नेता से उनकी उपलब्धियों, किए गए वादों के ट्रैक रिकॉर्ड और दिए गए लाभों के बारे में पूछें. पिछले ट्रैक रिकॉर्ड, भविष्य के अवसरों और देश के सामने आने वाली चुनौतियों को देखें.”
विदेश मंत्री चुनौतियों के लिए नए नहीं हैं. मंत्री ने COVID-19 के दौरान टीकों की सोर्सिंग और विशेष वंदे भारत उड़ानों के माध्यम से महामारी के दौरान विदेश में फंसे भारतीयों को निकालने का काम संभाला और यूक्रेन, रूस और इज़राइल में युद्ध क्षेत्रों में फंसे भारतीयों को बचाने के लिए जिम्मेदार थे.
वह भारतीयों से कहते हैं, “अपने आप से पूछें, वह कौन सा नेता है जिस पर आप भरोसा करते हैं कि तूफ़ान आने पर भी देश को बेहतर भविष्य की ओर ले जाएगा?” मंत्री आगे बढ़कर नेतृत्व करने के महत्व को समझते हैं और इसलिए चाहते हैं कि देश सोच-समझकर निर्णय ले.
(Translated by: रविकांत पारीक)