भारत के पहले कॉस्मेटिक ब्रांड Lakme की शुरुआत कैसे हुई?
पिछले कई दशकों से देश में लैक्मे महिलाओं का पसंदीदा ब्रांड बना हुआ है. महिलाओं के मेकअप से शुरू करने वाला यह ब्रांड आज FMCG मार्केट में एक अग्रणी नाम है. 1950 के दशक में शुरू किया गया लक्मे देश का पहला स्वदेशी विकसित मेकअप ब्रांड था.
पिछले कई दशकों से देश में लैक्मे महिलाओं का पसंदीदा ब्रांड बना हुआ है. महिलाओं के मेकअप से शुरू करने वाला यह ब्रांड आज FMCG मार्केट में एक अग्रणी नाम है. 1950 के दशक में शुरू किया गया लक्मे देश का पहला स्वदेशी विकसित मेकअप ब्रांड था.
तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जब पता चला कि भारतीय महिलाएं देश की विदेशी मुद्रा का बड़ा हिस्सा पश्चिमी देशों के मेकअप ब्रांड्स पर खर्च कर रही हैं, तब उन्होंने पहली बार इस बारे में सोचा.
इसके बाद नेहरू ने कारोबारी जहांगीर रतनजी दादाभाई (जेआरडी) टाटा से संपर्क किया. जेआरडी टाटा को भी यह आइडिया पसंद आया क्योंकि कॉस्मेटिक्स के बाजार में देश के अंदर कॉम्पिटीशन न के बराबर था.
पहला मेड इन इंडिया कॉस्मेटिक ब्रांड है लैक्मे
लैक्मे को टाटा ऑयल मिल्स कंपनी (TOMCO) की पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडियरी के तौर पर 1953 में लॉन्च किया गया. 1953 में लैक्मे देश के पहले स्वदेशी मेकअप ब्रांड के रूप में सामने आया. लैक्मे पूरी तरह से एक मेड इन इंडिया ब्रांड था.
TOMCO को कोचीन में 1920 में शुरू किया गया था. कोचीन का वर्तमान नाम कोच्चि है. टाटा ऑयल मिल्स मुख्य रूप से कोकोनट ऑयल के निर्यात के लिए कोपरा क्रशिंग करती है.
लैक्मे को TOMCO ने फ्रांस की दो नामी कंपनियों Robert Piguet और Renoir के साथ मिलकर लॉन्च किया था. विदेशी सहयोगियों की इक्विटी में कोई भागीदारी नहीं थी. उनकी भागीदारी केवल उनके संरक्षित परफ्यूम बेसेस के बारे में तकनीकी जानकारी देने तक सीमित थी, जिसके लिए उन्हें टाटा की ओर से फीस का भुगतान किया जाता था.
देवी लक्ष्मी से जुड़ा है लैक्मे नाम
लैक्मे एक फ्रांसीसी शब्द है जो कि देवी लक्ष्मी से जुड़ा है. लक्ष्मी को पौराणिक कथाओं में समृद्धि और सुंदरता की देवी कहा जाता है.
लैक्मे नाम फ्रांसीसी सहयोगियों द्वारा सुझाया गया था. उस समय पेरिस में एक प्रसिद्ध ओपेरा का नाम लैक्मे था.
भारतीयों की त्वचा और जलवायु को ध्यान में रखकर कॉस्मेटिक्स उतारे
लैक्मे भारतीय बाजार में जगह बनाने में सफल रहा, क्योंकि इसने भारतीयों की त्वचा और भारतीय जलवायु को ध्यान में रखकर कॉस्मेटिक्स उतारे.
1961 में दादाभाई की स्विस पत्नी सिमोन टाटा के प्रबंध निदेशक के रूप में पदभार संभालने के बाद ब्रांड में बदलाव किया गया.
उत्पादों के मूल्य निर्धारण से लेकर ब्रांड की स्थिति तक, उन्होंने इसे एक घर-घर का ब्रांड बना दिया. 1982 में सिमोन कंपनी की चेयरपर्सन बनीं.
बॉलीवुड अभिनेत्रियों को विज्ञापनों में अपना चेहरा बनाया
लैक्मे ने खुद को घर-घर का ब्रांड बनाने के लिए शुरू से एग्रेसिव मार्केटिंग स्ट्रैटेजी अख्तियार की और बड़े पैमाने पर प्रेस विज्ञापनों और मैगजीन में पैसे खर्च किए.
80 के दशक की सुपरमॉडल श्यामोली वर्मा ब्रांड के विज्ञापन का पहला चेहरा बनी थीं और उन्हें लैक्मे गर्ल के रूप में जाना गया.
हालांकि, इसके बाद लक्मे बॉलीवुड अभिनेत्रियों को विज्ञापनों में अपना चेहरा बनाना शुरू कर दिया. इस तरह रेखा, एश्वर्या राय बच्चन, करीना कपूर खान, श्रद्धा कपूर और काजोल लक्मे का चेहरा बनीं.
1998 में हिंदुस्तान यूनिलीवर में विलय हुआ
1996 में लैक्मे ने हिंदुस्तान यूनिलीवर के साथ 50-50 का विलय किया. दो साल बाद 1998, टाटा ने कंपनी में अपना 50 प्रतिशत हिस्सा दुनियाभर में एफएमसीजी मार्केट की अग्रणी कंपनियों में से एक हिंदुस्तान यूनिलीवर को बेच दिया.
2014 में, ब्रांड ट्रस्ट रिपोर्ट ने भारत के सबसे भरोसेमंद ब्रांडों की सूची में कंपनी को 36 वां स्थान दिया. आज, इसके 300 से अधिक विविध उत्पाद हैं जो 100 रुपये से लेकर अधिक महंगे हैं जो दुनियाभर के 70 से अधिक देशों की जरूरतों को पूरा करते हैं.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का ब्यूटी और पर्सनल केयर मार्केट साल 2022 में 24 बिलियन डॉलर (19 खरब रुपये) से अधिक का हो चुका है. वहीं, 6.32 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ साल 2027 तक इसके 33.33 बिलियन डॉलर (26 खरब रुपये) तक पहुंचने का अनुमान है.
Edited by Vishal Jaiswal