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बच्चों के बीच बेहतर संवाद के लिए एक मां ने शुरू किया ‘Stellar Children’s Museum’

बच्चों के बीच बेहतर संवाद के लिए एक मां ने शुरू किया ‘Stellar Children’s Museum’

Saturday September 05, 2015 , 8 min Read

“ज्ञान प्राप्त करने की सही विधि, प्रयोग है,” और जैसे ही बच्चे प्रयोग करना और अपने आस-पास की दुनिया से संवाद करना प्रारम्भ कर देते हैं, उतनी ही तेजी और बेहतर तरीके से वो सीखने लगते हैं. इसी विश्वास और एक जुनून के साथ, अंजना मेनन और उनके पति ने नवंबर 2012 में गुड़गांव में ‘Stellar Children’s Museum’ की शुरूआत की.”

प्रशिक्षण के द्वारा एक इंजीनियर और प्रोग्रामर, अंजना ने कई वर्ष अमेरिका में व्यतीत किये हैं. जब वो मां बनी तो उन्हें समझ में आया कि बच्चों को उस दुनिया के बारे में जानकारी होनी चाहिए जहां वो रहते हैं। इसी मक़सद से वो अपने बच्चों को संग्रहालय और विज्ञान संग्रहालय ले जाने लगीं. अमेरिका में इस प्रकार के 300 से अधिक संग्रहालय हैं. वक्त बदला, हालात बदले। अंजना भारत वापस आईं। लेकिन वापस आने के बाद उन्हें इस तरह के संग्रहालयों की सुविधा की एक गंभीर कमी दिखी। वो काफी हैरान हुईं. अंजना के अनुसार, " यह दुख की बात है कि माता पिता केवल एक चीज ही कर सकते हैं, वो ये कि बच्चों को लेकर सिनेमा या वीडियो आर्केड जाकर सप्ताहांत में बच्चों को व्यस्त रखा जाय." इसलिए 2012 में, उन्होंने 2 और 10 साल के बीच की उम्र के बच्चों के लिए एक परस्पर संवादात्मक(इंटरैक्टिव) संग्रहालय के निर्माण के विचार पर काम शुरू कर दिया. संग्रहालय नवंबर 2012 में खोला गया था और वर्तमान में मासिक आधार पर आगंतुकों की संख्या लगभग 6500 है. गुड़गांव के एम्बिएंस मॉल में स्थित यह संग्रहालय 11,000 वर्ग फुट में फैला है, जिसमें सात दीर्घाएँ, एक थिएटर और एक कैफे शामिल है.

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एक भावुक और प्रेरित माँ अंजना से, उनके सपने और इस परियोजना के दृष्टिकोण को समझने के लिए 'योर स्टोरी' ने बात की:

योर स्टोरी: बच्चों का संग्रहालय एक अभिनव और नया क्षेत्र है. इसे शुरू करने के पीछे क्या कारण था?

अंजना: जब हमारे बच्चे छोटे थे और हम अमेरिका में थे, मैं अक्सर उन्हें वहाँ संग्रहालय ले जाया करती थी. उन्हें इस तरह की यात्रा में बहुत आनंद आता था, और मुझे एहसास हुआ कि बच्चे ब्लॉक निर्माण और भूमिका निभाने के खेल जैसी साधारण चीजों से भी बहुत सीख सकते हैं. समय के साथ, छोटे बच्चे, रंग और आकार जैसी सरल अवधारणा और बड़े बच्चे गुरुत्वाकर्षण. चुंबकत्व आदि जटिल अवधारणाओं को नाटक के माध्यम से सीखते हैं. चूंकि खेलना आनंददायक और सहयोगात्मक होता है इसलिये, इसके लिए बच्चे तत्पर रहते हैं. हालांकि, जब मैं भारत वापस लौटी, तब मैं देश में विशेष रूप से छोटे बच्चों के लिए किसी भी परस्पर संवादात्मक(इंटरैक्टिव) संग्रहालय की कमी को देख कर हैरान थी. इसलिए, मैं ऐसा एक संग्रहालय शुरू करने के लिए प्रेरित हुयी. एक ऐसी जगह, जहाँ बच्चे जा सकें, वहां प्रदर्शित वस्तुओं को स्पर्श कर सकें और उनसे खेल सकें. एक पुल का निर्माण कर के या नहीं भी कर के इस प्रक्रिया द्वारा अपने चारों ओर की दुनिया के बारे में कुछ सीख सकें.

योर स्टोरी: संग्रहालय की विषयवस्तु क्या है और आप बच्चो को सीखने में कैसे मदद करती हैं?

अंजना: संग्रहालय में सात दीर्घाएं है जो कि विज्ञान, भूगोल, कला और शिल्प, साहसिक कार्य, सामुदायिक जीवन आदि विविध क्षेत्रों के रूप में फैली हुयी हैं. इसके पीछे विचार यह है कि बच्चे यहाँ आएं और मज़े करें, सीखना तो गौण है. संग्रहालय में दो शिक्षक हैं और सात दीर्घाओं में प्रत्येक में एक गैलरी पर्यवेक्षक है जो जब बच्चे भ्रमित हो जाते हैं तो बच्चों के कार्यों को समझने में मदद करते हैं. कुछ अवधारणाएँ बहुत सरल हैं, जैसे कि, " समुदाय में रहना" जिसमें कि बच्चे गतिविधियों के माध्यम से समस्या को सुलझाने और तर्क और जल्दी सीखने का कौशल विकसित करते हैं.

योर स्टोरी: किस आयु वर्ग के लक्ष्य समूह के लिए संग्रहालय सेवा देता है और आप संग्रहालय के डिजाइन और सामग्री का चयन कैसे करते हैं?

अंजना: संग्रहालय 2 से 10 साल के बीच की उम्र के बच्चों को लक्षित करता है. और प्रशिक्षित और योग्य शिक्षकों द्वारा संग्रहालय के दौरे में उनकी मदद की जाती है. इन शिक्षकों को प्रारंभिक शिक्षा के बच्चों के लिए शिक्षण के नए तरीके की जानकारी होने के साथ ही बहुत अनुभव भी है. संग्रहालय डिजाइन के लिए हम ने शिकागो के डिजाइनरों की मदद ली है, जिन्हे बच्चों के लिए संग्रहालयों को डिजाइन करने का 25 साल से अधिक का अनुभव है. संग्रहालय को डिजाइन करने में छह महीने का समय लगा. डिजाइनर और शिक्षक दोनों विभिन्न दीर्घाओं के लिए विषयों और सामग्री तय करने में शामिल रहे हैं. उन बच्चों के साथ ही जो स्वयं यहाँ आते हैं, हम कई स्कूलों के साथ मिलकर उनके बच्चों के लिए भ्रमण आयोजित करते हैं, जिससे कि बच्चे यहाँ आये और इस संग्रहालय को देख सकें.

योर स्टोरी: वित्त पोषण और विस्तार योजनाओं के बारे में बताएँ?

अंजना: 'Stellar Children’s Museum' मूल कंपनी ‘Stellar Group’ के द्वारा वित्त पोषित है, जो नोएडा स्थित एक रियल एस्टेट कंपनी है. हालांकि हमें डेटॉल जैसे कुछ कॉर्पोरेट प्रायोजकों से भी कोष प्राप्त होता है. कॉरपोरेट जगत के अलावा, हार्पर कोलिन्स, ट्रैवलर किड्स, फ्रैंक टॉयज आदि जैसी विभिन्न कंपनियां भी हमारी प्रायोजक हैं. वो हमें किताबें और DIY किट उपलब्ध कराते हैं, जिन्हे हम संग्रहालय की दुकान के माध्यम से विक्रय करते हैं. एक लाभ का उपक्रम होने के नाते हमने किसी भी प्रकार की मदद के लिए सरकार से संपर्क नहीं किया है. विस्तार करना हमें अच्छा लगेगा. वर्तमान में, दिल्ली में हम एक और संग्रहालय की स्थापना रहे हैं. हम भारत के शहरों में विस्तार के लिए फ्रैंचाइज़ी मॉडल के विकल्प भी तलाश रहे हैं. हालांकि, हम इस दिशा में बहुत ही चयनात्मक होना चाहते हैं. इसमें रुचि रखने वाले लोगों को भी इसको लेकर वही जुनून और प्यार होना चाहिए, जैसा हम में है. साथ ही, चूंकि संग्रहालय खोले हुए अभी केवल एक साल ही हुआ है इस लिए विस्तार का विचार अपेक्षाकृत नया है.

योर स्टोरी: संग्रहालय का समय और शुल्क क्या है?

अंजना: संग्रहालय सप्ताह के सभी सात दिन सुबह 10 बजे से रात 08 बजे तक खुलता है. हमारी एक सदस्यता योजना है, जिसके तहत सदस्यों को छूट की पेशकश की जाती है. वर्तमान में, हमारे कुल 140 से अधिक सदस्य हैं. हम स्कूली बच्चों के लिए भ्रमण यात्राओं का भी आयोजन करते हैं, जिसकी अवधि 2 घंटे होती है.

संग्रहालय में सामान्य प्रवेश की शुरुआत 30 मिनट के लिए केवल 200 रुपये से होती है, और यह संग्रहालय में बिताए गए समय के आधार पर बढ़ती जाती है. एक बच्चे के प्रवेश के तहत वयस्कों का प्रवेश मुफ़्त होता है. बुधवार को हम रियायती दरें रखते है और जन्मदिन और अन्य आयोजनों के लिए विशेष पैकेज देते हैं.

योर स्टोरी: आपकी चाह क्या है, आपको क्या गतिशील रखता है और आप अपने काम और परिवार में कैसे संतुलन बना पाती हैं?

अंजना: मेरी चाह मेरे जूनून से ही निकलती है. एक माता पिता होने के नाते मेरा दृढ़ विश्वास है कि भारत में भी इस तरह का कुछ करने की जरूरत है. संग्रहालय में हम प्रौद्योगिकी से दूर रहने के लिए सचेत हैं. यहाँ सब कुछ अनुभव से सीखने पर आधारित है और इसलिए यह एक अधिक पुराने स्कूल जैसा है. मैं संग्रहालय को एक विशुद्ध व्यवसाय के रूप में नहीं देखती. मेरे लिए यह एक सपना है. मैं इसे बड़ा बनाने का सपना देखती हूँ. मैं ऐसे कई संग्रहालयों सुनिश्चित करने का सपना देखती हूँ, जहां बच्चे सीख सकें, मज़े कर सकें और अपने आस-पास की दुनिया के बारे में और अधिक जिज्ञासु बन सकें.

मैं हर रोज नोएडा से गुड़गांव यात्रा करती हूँ. फिर भी मेरा दृढ़ विश्वास है आपको जो करते हैं, उस से यदि आपको प्यार है तो फिर सभी कुछ आसान हो जाता है. मुझे अपने सास-ससुर और मेरे पति अक्षय से बहुत अच्छा सहयोग मिलता है. अक्षय संग्रहालय के सभी वित्तीय पहलुओं को संभालते हैं.

योर स्टोरी: अन्य इच्छुक उद्यमियों के लिए आपकी क्या सलाह है, विशेष रूप से महिलाओं के लिए?

अंजना: मैं जीवन में एक जोखिम लेने वाली हूं और सौभाग्य से मेरे पति भी ऐसे ही हैं. लेकिन मेरा विश्वास है, कि अगर आप के पास एक उद्देश्य समर्थन और एक जुनून हैं तो आप बिलकुल इसमें कूद पड़िये. बाकि सबकुछ अपने आप होता जायेगा. आपके पास कोई बहुत बड़ा विचार होने की जरूरत नहीं है. कारोबार के आकार से कोई फर्क नहीं पड़ता. यह एक बच्चे की तरह है, आप इसे में जितना निवेश करेंगें; उतना ही बेहतर यह बढ़ेगा. कुछ नया शुरू करने के लिए यह एक बहुत अच्छा समय है. भारत में अब एक खुलापन है, लोग नये विचारों को पसंद करते हैं. आपके पास अगर एक विचार है तो आप आश्वस्त रहें, उसकी सराहना और उसे स्वीकार करने के लिए लोग तैयार है. एक बार आरंभ में बस आपको एक शुरुआत की जरूरत है और उसके बाद तो आकाश ही आपकी सीमा है.