Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

एक समय कचरा बीनने और दिनभर में 5 रु. कमाने वाली आज हैं 60 लाख टर्नओवर के संगठन की मुखिया

एक समय कचरा बीनने और दिनभर में 5 रु. कमाने वाली आज हैं 60 लाख टर्नओवर के संगठन की मुखिया

Sunday November 06, 2016 , 5 min Read

15 साल से हैं संगठन की मुखिया....

साफ-सफाई का काम करता है संगठन...

400 महिलाओं को मिला रोजगार...


अगर किसी को महिला सशक्तिकरण की परिभाषा समझनी हो तो गुजरात के अहमदाबाद में रहने वाली मंजुला वघेला इसका सटीक उदाहरण है। जिन्होने पढ़ाई भले ही दसवीं तक की हो लेकिन आज ये शहर की चार सौ महिलाओं को रोजगार दे रही हैं, उनका भविष्य संवार रही हैं और उनमें अपने पैरों पर खड़े होना का आत्मविश्वास भर रही हैं। ‘सौन्दर्य सफाई उत्कर्ष महिला सेवा सहकारी मंडली लिमिटेड’ नाम की एक को-ऑपरेटिव की मुखिया मंजुला कभी शहर की सड़कों पर कचरा बीनकर दिन भर में 5 रुपये कमाती थी, लेकिन आज उनकी सोसायटी का कुल टर्नओवर 60 लाख रुपये है।

image


“हम छह भाई बहन थे और पिता मिल मजदूर थे इसलिए घर की आर्थिक हालत ऐसी नहीं थी कि मैं दसवीं से आगे की पढ़ाई कर पाती” ये कहना है मंजुला वघेला का। मंजुला की शादी एक ऐसे व्यक्ति से हुई जो मजदूरी करते थे। इसलिए उनके घर का खर्च भी बमुश्किल चल पाता था तब उन्होने फैसला लिया की वो भी घर से बाहर कदम रखेंगी और दो पैसे कमा कर लाएंगी। उन्होने शुरूआत की कूड़ा बीनने से। इस तरह वो दिन भर में 5 रुपये ही जुटा पाती थीं। तब वो किसी के कहने पर इलाबेन भट्ट की संस्था सेल्फ एंप्लाइड वीमेंस एसोसिएशन यानी (सेवा) की सदस्य बन गईं। ये संस्था महिला सशक्तिकरण से जुड़े काम करती है। संगठन में कई तरह की मंडलियां थी जो विभिन्न तरह के काम कर करती थीं। इसी के तहत इनको साल 1981 में गठित सौन्दर्य सफाई उत्कर्ष महिला सेवा सहकारी मंडली लिमिटेड की मंडली में जगह दी गई। ये मंडली शहर के विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी ऑफिसों साफ सफाई का काम करती थी।

image


मंजुला के मुताबिक उन्होने सबसे पहले जिस जगह साफ सफाई और झाडू पोछा करने का काम किया वो था वो था अहमदाबाद का नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन का सेंटर। यहां पर मंजुला को तीन घंटे काम करना पड़ता था और उनको इस काम के बदले हर महीने 75 रुपये मिलते थे। मंजुला का कहना है कि “कुछ वक्त तक ये काम करने के बाद जब संगठन को दूसरी जगहों पर भी काम करने को कहा गया तो मुझे वहां भेजा जाने लगा और मेरी तरक्की कर सुपरवाइजर बना दिया गया। इसी तरह कुछ साल बाद मुझे मंडली का सचिव बना दिया गया।” सचिव बनने के बाद मंजुला सौन्दर्य सफाई उत्कर्ष महिला सेवा सहकारी मंडली लिमिटेड का कामकाज संभालने लगी और ऑफिस से जुड़ी दूसरे कामों को संभालने लगीं। मंजुला का कहना है कि उन्होने इस दौरान और दूसरी महिलाओं को भी अपने साथ जोड़ने का काम शुरू किया। इस तरह 31 महिलाओं के साथ शुरू हुआ ये संगठन आज 400 महिलाओं को रोजगार देने का काम कर रहा है।

image


मंजुला की मेहनत और लगन को देखते हुए करीब पंद्रह साल पहले उनको सौन्दर्य सफाई उत्कर्ष महिला सेवा सहकारी मंडली लिमिटेड का मुखिया बना दिया गया। मंजुला का कहना है कि “मेरी ज्यादा से ज्यादा कोशिश दूसरी गरीब महिलाओं को अपने साथ जोड़ने की होती है ताकि उन गरीब और बेरोजगार महिलाओं की रोजी रोटी का इंतजाम हो सके।” मंजुला की देखरेख में अहमदाबाद शहर की 45 जगहों पर ये संगठन साफ सफाई का काम कर रहा है। इन जगहों में सरकारी इमारतें, गैर सरकारी इमारतें, स्कूल और शॉपिंग कॉम्पलेक्स शामिल हैं। आज मंजुला विभिन्न जगहों पर सफाई के लिए निकलने वाले टेंडर भरने से लेकर दूसरे काम खुद ही करती हैं।

image


ये मंजुला की कोशिशों का ही नतीजा है कि आज उनके संगठन में काम करने वाली महिलाओं को लाइफ इंश्योरेंस और पेंशन की सुविधा भी मिली हुई है। मंजुला के मुताबिक लाइफ इंश्योरेंस सुविधा का लाभ उठाने के लिए महिलाओं को हर साल 4सौ रुपये देने होते हैं जिसके बदले उनको 1 लाख रुपये का इंश्योरेंस मिलता है। जबकि पेंशन के लिए इनका संगठन महिलाओं से हर महीने पचास रुपये लेता है और शेष पचार रुपये संगठन अपनी ओर से देता है। इस तरह हर महिला के पेंशन खाते में सौ रुपये जमा होते हैं। 60 साल बाद जिस महिला ने जितने साल नौकरी की होती है उसे उसी हिसाब से उसको पेंशन मिलती है। इसके अलावा ये संगठन यहां काम करने वाली महिलाओं को हर साल डिवेडेंड भी देता है।

image


मंजुला का कहना है कि सौन्दर्य सफाई उत्कर्ष महिला सेवा सहकारी मंडली लिमिटेड का आज कुल टर्नओवर 60 लाख रुपये है। जिसको उन्होने अगले साल तक 1 करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए उनका कहना है कि उनका संगठन अब तक सिर्फ अहमदाबाद में ही काम कर रहा है लेकिन अब उनकी कोशिश गुजरात के दूसरे हिस्सों में भी काम करने की है। उनके मुताबिक अहमदाबाद के बाद जो अगले शहर हो सकते हैं उनमें बड़ौदा और सूरत जैसे शहर शामिल हैं। आज इस संगठन में ज्यादातर महिलाएं 30 साल से 55 साल तक की उम्र की हैं। मंजुला का कहना है कि “इस संगठन के कारण मेरी बहनों का विकास हुआ, मंडली का विकास हुआ और मेरा विकास हुआ। इस संगठन में हमें सबकुछ दिया है।”