Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

राजन ने दूसरे कार्यकाल से इनकार कर शैक्षिक क्षेत्र में लौटने की इच्छा जतायी

राजन ने दूसरे कार्यकाल से इनकार कर शैक्षिक क्षेत्र में लौटने की इच्छा जतायी

Sunday June 19, 2016 , 5 min Read

लगातार राजनीतिक हमलों के बीच रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज बैंक के गवर्नर पद पर दूसरे कार्यकाल से इनकार कर दिया। अचानक की गई इस घोषणा से रिजर्व बैंक गवर्नर के पद पर राजन के बने रहने को लेकर लगाई जा रही अटकलों पर विराम लग गया। राजन ने रिजर्व बैंक के कर्मचारियों को जारी संदेश में कहा, ‘‘उचित सोच-विचार और सरकार के साथ परामर्श के बाद मैं आपके साथ यह साझा करना चाहता हूं कि मैं चार सिंतबर 2016 को गवर्नर के तौर पर कार्यकाल समाप्त होने पर शैक्षिक क्षेत्र में वापस लौट जाउंगा।’’

राजन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के जाने माने अर्थशास्त्री रहे हैं और उन्होंने 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बारे में काफी पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी। रिजर्व बैंक गवर्नर ने अपने सहयोगियों को लिखे पत्र में (संप्रग) सरकार ने सितंबर 2013 में रिजर्व बैंक का गवर्नर नियुक्त किया था।

राजन ने यह भी कहा कि दो प्रमुख मामलों - मुद्रास्फीति पर नियंत्रण और बैंक खातों को साफ सुथरा बनाने - पर काम पूरा होना बाकी है और वह यह काम पूरा होते देखना चाहते थे, लेकिन उन्होंने अपना मौजूदा कार्यकाल समाप्त होने के बाद पठन पाठन की तरफ लौटने का फैसला किया है। शिकागो विश्वविद्यालय के वित्त विभाग के छुट्टी पर चल रहे प्रोफेसर ने बिना कोई खास वजह बताए कहा कि उन्होंने काफी सोच-विचार और सरकार के साथ सलाह मशविरा करने के बाद कार्यकाल की समाप्ति पर शैक्षिक क्षेत्र में वापस लौटने का फैसला किया है।

ऐसी चिंता व्यक्त की जा रही थी कि रिजर्व बैंक गवर्नर पद से राजन के हटने का देश के वित्तीय बाजारों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। इन दिनों ब्रेक्जिट (ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर निकलने), ग्रेक्जिट (यूनान के यूरोपीय संघ से बाहर होने) की तर्ज पर रेक्जिट :राजन के आरबीआई छोड़ने: की पदावलि चर्चित हो गई थी। गवर्नर ने अपने पत्र में इसका विशेष तौर पर कोई जिक्र तो नहीं किया लेकिन कहा कि रिजर्व बैंक ब्रेक्जिट जैसे बाजार में उतार-चढ़ाव लाने वाले खतरों से पार पा लेगा।

राजन ने कहा कि रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा प्रवासी(बी) जमा के भुगतान तथा उनके बाह्य प्रवाह को लेकर पर्याप्त तैयार की है ताकि यह व्यवस्थित तरीके से हो। इसमें कोई बड़ी बात नहीं होनी चाहिए। राजन उन चिंताओं के संबंध में कह रहे थे कि सितंबर-अक्तूबर में परिपक्व हो रहे इन बांड से देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ने वाले अचानक दबाव का असर बाजार पर पड़ सकता है। गवर्नर ने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि उनके उत्तराधिकारी रिजर्व बैंक को नयी उंचाई पर ले जायेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं शिक्षक हूं और मैंने हमेशा साफ किया है कि मेरा आखिरी ठिकाना विचारों की दुनिया है। मेरा तीन साल का कार्यकाल खत्म होने वाला है और शिकागो विश्वविद्यालय से छुट्टी का भी। इसलिए यह विचार करने का सही समय था कि हमने कितना काम पूरा किया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पहले पहले दिन जो काम शुरू किया था वह पूरा हो गया लेकिन बाद के दो घटनाक्रमों का पूरा होना बाकी है। मुद्रास्फीति लक्षित दायरे में है लेकिन मौद्रिक नीति समिति का गठन बाकी है जो अब नीति तय करेगी।’’

राजन ने कहा, ‘‘इसके अलावा परिसंपत्ति गुणवत्ता समीक्षा के तहत बैकों के लेखे जोखे को साफ सुथरा बनाने का जो काम शुरू किया गया था उससे बैंकों की बैलेंस शीट में अपेक्षाकृत विश्वसनीयता आई है और यह काम अभी चल रहा है। हालांकि, निकट भविष्य में अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों से कुछ जोखिम हो सकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं चाहता था कि ये काम हो जाए लेकिन सोच-विचार कर और सरकार के साथ परामर्श के बाद मैं आपके साथ साझा करना चाहता हूं कि मैं चार सितंबर 2016 को अपना कार्यकाल समाप्त होने पर पठन-पाठन के काम में लौट जाउंगा। मैं, निश्चित तौर पर, जरूरत पड़ने पर अपने देश की सेवा के लिए हमेशा उपलब्ध रहूंगा।’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरे सहयोगियो, हमने पिछले तीन साल में वृहत्-आर्थिक और संस्थागत स्थिरता का मंच तैयार किया है।’’ मुखर होकर अपनी राय व्यक्त करने के लिए जाने जानेवाले राजन ने विभिनन मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी। चाहे यह सहिष्णुता पर छिड़ी बहस हो या फिर भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में उनकी ‘अंधों में काना राजा’ वाली टिप्पणी हो, उन्होंने अपनी बात खुलकर रखी है।

राजन ने अपने संदेश में केंद्रीय बैंक के प्रमुख के तौर पर अपने तीन साल के कार्यकाल पर गौर करते हुये कहा कि कहा कि उन्होंने 2013 में मुश्किल परिस्थितियों में गवर्नर का पद संभाला जब देश पांच प्रतिशत की कमजोर वृद्धि के दौर में था, मद्रुास्फीति काफी उंची थी और रपए पर अतिशय दबाव था। उन्होंने अपने शुरआती बयान का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने संकट से निपटने के लिए प्रवासी भारतीयों के लिए विशेष जमा सुविधा शुरू करने की बात की थी ।

लेकिन गवर्नर ने फौरन कहा कि देश अब कमजोर स्थिति में नहीं है। न्होंने कहा, ‘‘आज भारत विश्व की सबसे अधिक तेजी से वृद्धि दर्ज कर रही अर्थव्यवस्था हैं और हम पांच प्रतिशत की कमजोर वृद्धि दर के दौर से काफी पहले बाहर निकल चुके हैं।’’