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कैसे MSMEs को डिजिटल कोर्ट के माध्यम से उनकी पेमेंट समस्याओं को हल करने में मदद कर रहा है चंडीगढ़ का यह स्टार्टअप

MSMEs के बकाए पैसे के भुगतान में देरी या फिर भुगतान का न हो पाना एक गंभीर चिंता का विषय है। इसे हल करने के लिए, Jupitice ने 90 दिनों के भीतर MSME भुगतान के मुद्दों को तेजी से हल करने के लिए एक निजी डिजिटल कोर्ट विकसित किया है।

कैसे MSMEs को डिजिटल कोर्ट के माध्यम से उनकी पेमेंट समस्याओं को हल करने में मदद कर रहा है चंडीगढ़ का यह स्टार्टअप

Friday October 22, 2021 , 7 min Read

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के बीच विलंबित भुगतान की समस्या एक गंभीर चिंता का विषय है। रिपोर्टों से पता चलता है कि एमएसएमई ने पिछले चार वर्षों में लगभग एक लाख आवेदन दिए हैं, जिसमें उनके बकाया की निकासी न होने की बात कही गई है। यह समस्या उन व्यवसायों के वित्तीय स्वास्थ्य को बिगाड़ सकती है, जिन्हें पारंपरिक रूप से चल रहे खोल से बाहर आने के लिए अभी भी सरकारी संस्थानों से बहुत अधिक समर्थन की आवश्यकता है।


हालांकि सरकार केंद्र और राज्य के विभागों, सार्वजनिक उपक्रमों (PSUs) और अन्य से अपने एमएसएमई विलंबित भुगतान पोर्टल - एमएसएमई समाधान (MSME Samadhaan) के माध्यम से माल प्राप्त करने के 45 दिनों के भीतर एमएसएमई का बकाया चुकाने का आग्रह कर रही है लेकिन फिर भी समस्या केवल बढ़ी ही है।


इन मुद्दों को हल करने के लिए, रमन अग्रवाल ने सितंबर 2021 में Jupitice Justice Technologies के तहत MSME Digital Court  की शुरुआत की। यह निजी न्याय प्रणाली के लिए पहली 'निजी डिजिटल अदालतों' में से एक है, जो अदालत के बाहर निपटान की पेशकश कर रही है, वो भी डिजिटल तरीक से।


उनका कहना है कि मुद्दा केवल भुगतान में देरी का नहीं है, बल्कि पार्टियों द्वारा भुगतान न करने का भी है। विलंबित भुगतान एक ऐसी समस्या है जिसका हल निकाला जा सकता है, लेकिन क्या होगा यदि पार्टी भुगतान करने से ही मना कर दे? दोनों ही मामलों में, यह एक विवाद को जन्म देता है, जिसमें फिर से शिकायत दर्ज करने और कानून द्वारा अदालत में मामला चलाने की औपचारिक प्रक्रिया का पालन करना पड़ता है, जिसमें बहुत समय लगता है।


इसके लिए, रमन ने छोटे से मध्यम स्तर के व्यवसायों के बीच बढ़ते विवादों को तेजी से हल करने और प्राइवेट जस्टिस डिलीवरी मैकेनिज्म के माध्यम से सिविल और कॉमर्शियल विवादों में मदद करने के लिए भारत की पहली डिजिटल कोर्ट में से एक विकसित की है।


वह कहते हैं, "Jupitice द्वारा विकसित MSME डिजिटल कोर्ट SME मालिकों को विभिन्न ADR मैकेनिज्म यानी मध्यस्थता, सुलह और बीच-बचाव के माध्यम से कॉमर्शियल विवादों को हल करने में मदद करने के लिए दृढ़ संकल्पित है।"

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YourStory के साथ बातचीत में, रमन इस बारे में बताते हैं कि कैसे वह अपने ऑनलाइन विवाद समाधान (ओडीआर) प्लेटफॉर्म के माध्यम से तेज, लागत प्रभावी और कुशल विवाद समाधान प्रदान करके एमएसएमई की लिक्विडिटी को बढ़ाने का लक्ष्य बना रहे हैं। उन्होंने इस बारे में भी बात की कि कैसे वह मुकदमेबाजी दर को कम करने और इसके परिणामस्वरूप न्यायपालिका / सार्वजनिक न्याय प्रणाली पर बोझ को कम करने की दिशा में काम कर रहा है।


इंटरव्यू से संपादित अंश:

YourStory (YS): Jupitice की MSME डिजिटल कोर्ट कौन सी बड़ी समस्या को हल करना चाह रही है?

रमन अग्रवाल (RA): कार्यशील पूंजी (working capital) की कमी देश में स्टार्टअप मालिकों के सामने आने वाली प्रमुख समस्याओं में से एक है। चूंकि एमएसएमई के पास वैकल्पिक पूंजी जुटाने के बदले बैंक को देने के लिए पर्याप्त सुरक्षा नहीं होती है, इसलिए वे अपनी सीमित पूंजी के साथ काम करना जारी रखते हैं। अब ऐसे में किसी भी तरह का विवाद होने पर पूरी पूंजी ब्लॉक होना लाजमी है। इसलिए, यह जरूरी है कि मुकदमेबाजी अदालतों में लगने वाले लंबे समय को देखते हुए एमएसएमई को त्वरित न्याय मिले।


तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, ज्यूपिटिस ने सबसे पहले एमएसएमई डिजिटल न्यायालयों में से एक की घोषणा की। एआई-संचालित प्लेटफॉर्म निजी न्याय प्रणाली के तहत विवादों को हल करेगा जिसमें सिविल, कॉमर्शियल, पर्सनल, उपभोक्ता आदि शामिल हैं।


आम तौर पर, एमएसएमई से संबंधित विवाद को सुलझाने में सात साल से अधिक का समय लगता है। हालाँकि, Jupitice का MSME डिजिटल कोर्ट इस तरह से विकसित किया गया है कि हम MSMEs से वादा करते हैं कि उनके विवादों को हल होने में 90 दिनों से अधिक समय नहीं लगेगा।

YS: ज्यूपिटिस MSME Samadhaan से अलग कैसे है?

RA: एमएसएमई मंत्रालय ने एमएसएमई विलंबित भुगतान पोर्टल यानी MSME Samadhaan को देश भर में सूक्ष्म और छोटे उद्यमियों को केंद्रीय मंत्रालयों / विभागों / सीपीएसई / राज्य सरकारों द्वारा विलंबित भुगतान से संबंधित अपने मामलों को सीधे दर्ज करने के वास्ते सशक्त बनाने के लिए लॉन्च किया।


इसके विपरीत, ज्यूपिटिस के एमएसएमई डिजिटल कोर्ट का एमएसएमई विवादों को हल करने की दिशा में 360 डिग्री दृष्टिकोण है। जहां MSME समाधान केवल विलंबित भुगतान से संबंधित है, जो कि ज्यादातर निर्विवाद पैसों का मामला होता है, लेकिन कुछ अन्य प्रकार के विवाद या विवादित राशि का एक ग्रे एरिया है जिससे सरकार को निपटना बाकी है। यही वह जगह हैं ज्यूपिटिस एमएसएमई डिजिटल कोर्ट एमएसएमई के लिए राहत की तरह आता है।


ज्यूपिटिस एमएसएमई डिजिटल कोर्ट खरीदार द्वारा विलंबित भुगतान से संबंधित मामले दर्ज करता है, और विक्रेताओं और एमएसएमई, एमएसएमई और बड़े व्यवसायों, और एमएसएमई-खरीदारों (विलंबित भुगतान) के बीच विवाद भी दर्ज करता है।


दूसरा, MSME समाधान पर मामला दर्ज करने के लिए, एमएसएमई को एमएसएमई मंत्रालय के साथ पंजीकृत होना चाहिए और एक वैध उद्योग आधार नंबर और उद्यम पंजीकरण नंबर भी होनी चाहिए। यह मानदंड अक्सर कई छोटे व्यवसायों को बाहर कर देता है जिन्होंने मंत्रालय के साथ पंजीकरण नहीं कराया है। अन्य प्रमुख मतभेदों में से एक विवादों का त्वरित निपटान है क्योंकि ज्यूपिटिस को विवाद को हल करने में 90 दिनों तक का समय लगता है और एमएसएमई समाधान को केवल परिषद को मामला सौंपने में ही लगभग 15 दिन लगते हैं।

YS: किसी भी पक्ष द्वारा फैसले का पालन न करने से क्या होता है?

RA: ऐसे उदाहरण हो सकते हैं जब कोई एक पक्ष फैसले का पालन नहीं करता है। इस मामले में, दो तरीके हैं - अनुपालन (compliance) और प्रवर्तन (enforcement)।


अनुपालन के लिए, मध्यस्थता और सुलह अधिनियम 1996 के तहत, पार्टियों को मध्यस्थ द्वारा दिए गए निर्णय का पालन करना होगा। लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है, तो 'प्रवर्तन' का सहारा लेना पड़ता है, जहां अगर पार्टियों में से एक मध्यस्थ के आदेशों का पालन करने में विफल रहता है, तो आदेश क्षेत्राधिकार अदालत में दायर किया जा सकता है, और आगे, अदालत पुलिस या अन्य नामित अधिकारियों के माध्यम से आदेश लागू करेगी।

YS: अब तक की सबसे बड़ी चुनौती क्या रही है, और आपका लक्ष्य क्या है?

RA: कंपनी के सामने सबसे बड़ी चुनौती निजी न्याय प्रणाली के बारे में लोगों में जागरूकता की कमी है। हमें एमएसएमई डिजिटल कोर्ट को लॉन्च किए हुए करीब एक महीना हो चुका है, लेकिन हमें ऐसी बातें पता चली हैं कि बहुत से लोगों को कोर्ट के बाहर निपटारे की जानकारी नहीं है। हर दिन, हमें अपने हेल्पलाइन नंबर पर एसएमई मालिकों के दर्जनों कॉल आते हैं और उनमें से किसी को भी यह पता नहीं होता है कि उनके विवादों को जल्दी से कैसे सुलझाया जाए।


ज्यूपिटिस का मानना है कि पूंजी किसी भी छोटे या बड़े व्यवसाय में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, इस प्रकार, निजी न्याय प्रणाली के आइडिया के बारे में अधिक से अधिक व्यापार मालिकों को मार्गदर्शन करना हमारी पहली और सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकता है।


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Edited by रविकांत पारीक