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सेविंग्स के 12 लाख से शुरू किया था बिजनेस, चार साल में रेवेन्यू पहुंचा 25 करोड़

 सेविंग्स के 12 लाख से शुरू किया था बिजनेस, चार साल में रेवेन्यू पहुंचा 25 करोड़

Thursday January 17, 2019 , 5 min Read

विजय रामकुमार

कहते हैं कि जो वक्त के साथ कदम नहीं मिला पाता वो पीछे छूट जाता है। आज के दौर में यह बात हर किसी पर सटीक बैठती है। जिस तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग जैसी चीजों का दौर आ रहा है उसे देखते हुए यही कहा जा सकता है कि दुनिया तेजी से बदलने वाली है। इस तेजी से बदलती दुनिया में बिजनेस की संभावनाएं भी बढ़ रही हैं और नए द्वार भी खुल रहे हैं। विजय राम कुमार ने तकनीक की मदद से ऐसा बिजनेस शुरू किया कि आज उनका टर्नओवर 25 करोड़ रुपये पहुंच गया है।


विजय ने 2012 में बेंगलुरु में ही डिजिटल एडवर्टाइजिंग के क्षेत्र में कदम रखा था। उनका मकसद अपने स्टार्टअप 'ऑटोमेटेड' की मदद से ई-कॉमर्स वेबसाइट्स समेत कंटेंट पब्लिशर्स की आमदनी बढ़ाने का था। यह आइडिया कुछ ऐसा था जिसमें सभी को फायदा होने वाला था। कंटेंट पब्लिशर्स वेबसाइट को ई-कॉमर्स वेबसाइट की मदद से पैसे कमाने और ट्रैफिक बढ़ाने का का मौका मिला। विजय की दस लोगों की टीम ने ऐसी तकनीक विकसित की जिसकी मदद से किसी वेबसाइट पर दिखने वाला सामान से मिलता जुलता सामान ई-कॉमर्स साइट प्लेटफॉर्म पर भी मिले। 


हालांकि विजय कहते हैं कि उन्होंने तकनीक तो बना ली थी, लेकिन अभी मार्केट उस हिसाब से तैयार नहीं हुआ था। उस वक्त पब्लिशर्स केवल एडवर्टाइजमेंट पर ही निर्भर रहते थे, इसलिए विजय का आइडिया उनके काम नहीं आया। उस वक्त विजय के पास 12 लाख रुपये थे। 2017 में वे न्यू यॉर्क चले गए। वे बताते हैं, 'हमारा आइडिया प्रोग्रामेटिक एडवर्टाइजिंग में सेलेक्ट हुआ था। इसके बाद हमने आगे सोचना शुरू किया और डिजिटल मीडिया में ऐसे प्रॉडक्ट बनाने की कोशिश की जिससे कंटेंट पब्लिशिंग कंपनियां अपनी वेबसाइट की जगह को बेच सकें।'


ऑटोमेटेड कंपनी क्या करती है?

विजय की कंपनी ऑटोमेटेड तमाम वेबसाइट्स के साथ साझेदारी करती है और उनकी वेबसाइट की जगह के बदले अच्छा मुनाफा कमाने का जरिया प्रदान करती है। वेबसाइट की दुनिया में कई ऐसे टूल्स होते हैं जिनसे वेबसाइट पर क्लिक और इंप्रेशन पर असर पड़चा है। इन्हीं सब टूल्स पर ऑटोमेटेड काम करती है। विजय कहते हैं, 'हमने एक फुल स्टैक एंटरप्राइज ग्रेड का सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन बनाया है जिसे ऐड सर्वर में लगा दिया जाता है और फिर पब्लिशर्स के माध्यम से उसे ऑप्टिमाइज कर दिया जाता है। इससे वेबसाइट का ट्रैफिक बढ़ जाता है।'


अब चूंकि वेबसाइट्स के वैरिएबल बदलते रहते हैं इसलिए हर तीन महीने में नई जरूरतें सामने आती रहती हैं इसलिए हर पब्लिशसर्स को ऑटोमेटेड जैसी कंपनियों की जरूरत पड़ती है ताकि उनका सॉफ्टवेयर सही से मेनटेन रहे। ऑटोमेटेड के प्लेटफॉर्म की मदद से पब्लिशर्स की वेबसाइट अपना व्यापार और अच्छे से बढ़ा सकती है।


बाजार का दायरा

ईमार्केटर की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक प्राइवेट सेटअप्स की मदद से वेबसाइट के जरिए अच्छे पैसे कमाए जा सकते हैं। 2018 में अमेरिका में 46 बिलियन डॉलर बनाए गए जो कि पिछले साल की तुलना में 10 बिलियन डॉलर अधिक है। इसका मतलब अमेरिका में 82.5 प्रतिशत डिजिटल डिस्प्ले ऑटोमेटेड चैनल की मदद से चलता है। हालांकि भारत में डिजिटल एडवर्टाइजिंग का कारोबार सिर्फ 1 बिलियन डॉलर का है।


बीते पांच सालों में विजय की कंपनी ने कई सारे प्रॉडक्ट्स विकसित किए हैं जो कि 100 से अधिक कंटेंट पब्लिशर्स के लिए उपयोगी साबित हो रहे हैं। इनमें भारत के अलावा अमेरिका और यूके, स्वीडन के भी कंटेंट पब्लिशर्स शामिल हैं। ऑटोमेटेड ने 16 ग्लोबल एडवर्टाइजिंग एजेंसी के साथ टाइ अप किया है। सबसे खास बात ये है कि विजय की कंपनी शुरू से ही मुनाफा कमा रही है इसलिए उन्हें कभी किसी बाहरी स्रोत से फंड जुटाने की जरूरत नहीं पड़ी। 


हालांकि विजय कहते हैं कि फंड्स की मदद से वे अच्छे लोगों को टीम में शामिल कर सकते हैं। वे यह भी मानते हैं कि खुद के पैसों से स्टार्टअप खड़ा करने में काफी धैर्य और मेहनत की जरूरत पड़ती है, खासकर शुरुआती दिनों में। विजय कहते हैं कि मुनाफा कमाने और लंबे समय के लिए बिजनेस चलाने में किसी एक चुनना काफी कठिन फैसला है। वे यह भी मानते हैं कि तकनीक कभी भी बदल सकती है और हो सकता है कि एक ही महीने में उनका काम बर्बाद हो जाए।


बिजनेस इनसाइडर के मुताबिक फेसबुक और गूगल जैसी कंपनियां दुनिया भर का 62 फीसदी डिजिटल एडवर्टाइजिंग पर कब्जा रखती हैं। ऑटोमेटेड का रियल टाइम एडववर्टाइजिंग सिस्टम किसी भी पब्लिशर्स के साथ काम कर सकता है। इसकी तकनीक पूरे दुनिया में फैले पब्लिशर्स के साथ काम करती है। विजय कहते हैं, 'हमारे पास ऐसा सिस्टम है जो कि सेकेंड्स भर के भीतर किसी भी वैरिएशन्स को कंट्रोल कर सकती है। हमारा डेटा एनालिटिक्स और रिपोर्टिंग सिस्टम पब्लिशर्स के रेवेन्यू को सही से मापता है।'


कंपनी के प्रतिद्वंद्वियों में BounceX, StackAdapt, Convertro, Segment, LiveRamp और Outreach जैसी कंपनियां शामिल हैं। हालांकि कंपनी ने अपने क्लाइंट्स के बारे में किसी भी जानकारी को साझा करने से इनकार कर दिया लेकिन उनका कहना है कि वे मार्केटके सबसे बड़े खिलाड़ियों के साथ काम करते हैं। विजय कहते हैं कि बीते चार साल से इस फील्ड में काम करने की वजह से उनके पास देश की सबसे बड़ी मीडिया कंपनियां जुड़ी हुई हैं। अब विजय भारत के बाहर भी अपना विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। विजय ने बताया कि इस साल उनका रेवेन्यू 25 करोड़ पहुंचने वाला है।


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