Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

अब इंसानों में अंग प्रत्यारोपण करना होगा और सुरक्षित

कई बार ऑपरेशन में ऊतकों की कमी पड़ने पर इंसानों में जानवरों के ऊतक ट्रांसप्लांट किए जाते हैं। इन जानवर के ऊतकों में सुअर का ऊतक सबसे मुफीद रहता है।

सांकेतिक तस्वीर

सांकेतिक तस्वीर


वैज्ञानिकों ने प्रत्यारोपण के दौरान मुश्किल पैदा करने वाले रेट्रोवायरस को खत्म करने से संबधित अपनी रिसर्च पब्लिक की है। प्रत्यारोपण को सुरक्षित बनाने के लिए सुअर जीनोम को निष्क्रिय करने का यह कदम उठाया गया है।

 ये रेट्रोवायरस पर्व्स कई तरह की बीमारियों के जनक हैं। इसलिए मानव शरीर में सुअर या फिर किसी अन्य जानवरों के ऊतक प्रत्यारोपित करने से पहले इन वायरस की जांच और उनका खात्मा जरूरी है।

आपको शायद मालूम न हो लेकिन इंसानों में किए जाने वाले तमाम ट्रांसप्लांट में सुअरों की अहम भूमिका रहती है। मानव अंगों और ऊतकों की कमी सबसे महत्वपूर्ण यूनिट चिकित्सा जरूरतों में से एक है। कई बार ऑपरेशन में ऊतकों की कमी पड़ने पर इंसानों में जानवरों के ऊतक ट्रांसप्लांट किए जाते हैं। इन जानवर के ऊतकों में सुअर का ऊतक सबसे मुफीद रहता है। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि सुअरों के जीनोम में कई तरह के रेट्रोवायरस मौजूद होते हैं। चिकित्सा वैज्ञानिकों ने इस दिक्कत का हल निकाल लिया है।

सुरक्षित प्रत्यारोपण की कवायद

वैज्ञानिकों ने प्रत्यारोपण के दौरान मुश्किल पैदा करने वाले रेट्रोवायरस को खत्म करने से संबधित अपनी रिसर्च पब्लिक की है। प्रत्यारोपण को सुरक्षित बनाने के लिए सुअर जीनोम को निष्क्रिय करने का यह कदम उठाया गया है। ये पाया गया है कि सुअर के जीनोम में पोर्किन अंतर्जात रेट्रोवायरस यानि कि पर्व्स मौजूद होते हैं। इस लिहाज से ये जीन संपादन तकनीक, सुअर जीनोम से वायरस जीन को हटाने में काफी कारगर है। सुअर के ऊतकों या अंगों को निकालकर उसका प्रत्यारोपण इंसानों में करने के लिए एक अच्छा उपयोगी रास्ता साबित हो सकता है। इस हालिया रिसर्च से पहले इस विषय से संबंधित अभी तक के सभी प्रयासों में केवल सेल लाइनों में प्रदर्शन किया गया था, सीधे तौर पर जानवरों के जीनोम से नहीं। इस दृष्टि से भी ये रिसर्च काफी महत्तवपूर्ण है।

खतरनाक हैं ये रेट्रोवायरस

जॉर्ज चर्च, दांग नीयू की टीम ने जीवित जानवरों में पहली बार इस तरह रेट्रोवयरस को पता लगाने की तकनीक का प्रदर्शन किया है। टीम ने यह पुष्टि की है कि सुअर कोशिकाओं में मौजूद पर्व्स को एक साथ सिलसिलेवार ढंग से जब मानव कोशिकाओं में प्रेषित किया जाता है तो असंक्रमित मनुष्य की कोशिकाओं भी पर्व्स से संक्रमित हो जाती हैं। ये रेट्रोवायरस पर्व्स कई तरह की बीमारियों के जनक हैं। इसलिए मानव शरीर में सुअर या फिर किसी अन्य जानवरों के ऊतक प्रत्यारोपित करने से पहले इन वायरस की जांच और उनका खात्मा जरूरी है। हाल ही में जनित ये तकनीक सूअरों में पर्व्स निष्क्रिय करती है और प्रत्यारोपण को सुरक्षित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है।

जीन एडिटिंग का सफल प्रयोग

शोधकर्ताओं ने कुल 25 सुअर में फाइब्रोब्लास्ट कोशिकाओं के जीनोम में मौजूद पर्व्स की जांच की। उन्होंने सभी 25 जीनोमिक साइटों को निष्क्रिय करने के लिए जीन एडिटिंग टूल क्रिस्पर का इस्तेमाल किया। इस तरह की जीन एडिटिंग से क्लोनिंग की प्रक्रिया में भी मदद मिलेगी। क्लोन कोशिकाओं में से किसी को भी 90% से अधिक पर्व्स की एडिटिंग करके उगाया जा सकता है। डीएनए की मरम्मत से संबंधित कारकों के मिश्रण को जोड़ने में टीम सौ फीसदी पर्व्स को निष्क्रिय करने वाली कोशिकाओं को विकसित करने में सफल रही। जब उन्होंने भ्रूण में इस एडिटेड जीन को लगा दिया तो उन्होंने पाया कि जन्म के कुछ महीन पिघलने के बाद चार महीनों के बाद भी वो भ्रूण जीवित रहे।

यह भी पढ़ें: सरकारी पेट्रोल पंप पर खुलेंगे 'जन औषधि स्टोर', मिलेंगी जेनरिक दवाएं