Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

शुरू करें ये स्टार्टअप, हर महीने होगी लाखों में कमाई

इस स्टार्टअप से हर महीने लाखों की कमाई...

शुरू करें ये स्टार्टअप, हर महीने होगी लाखों में कमाई

Thursday March 22, 2018 , 6 min Read

सुरक्षा सरकारी और गैरसरकारी संस्थानों की हो, सड़क की अथवा अपने घरेलू जीवन की, आज सीसीटीवी कैमरों की मांग बढ़ने से इसका बाजार बढ़ता जा रहा है। यदि आप इससे जुड़कर कोई स्टार्टअप शुरू करते हैं, तो हर महीने कर सकते हैं लगभग दो से ढाई लाख की आमदनी। अधिक जानकारी के लिए पढ़ें पूरी स्टोरी...

सांकेतिक तस्वीर, फोटो साभार: Shutterstock

सांकेतिक तस्वीर, फोटो साभार: Shutterstock


इंफोसिस के डायरेक्‍टर रहे टीवी मोहनदास पई भले भारत सरकार के स्‍टार्टअप मिशन पर सवाल उठाएं लेकिन वह भी इस बात को मानते हैं कि जो सफलतापूर्वक स्टार्टअप में एक्टिव हैं, उनके फ्यूचर भी अच्‍छे हैं।

स्टार्टअप सफल होने के लिए ऑब्जेक्टिव और गोल फोकस में होना चाहिए। शुरू में अपनी कंपनी के नाम, उसके लोगो, कंपनी के विजन-मिशन पर काम करना चाहिए।

वैसे तो भारत में स्टार्टअप की सफलता और असफलता, दोनों पर ढेर सारी बातें होती रहती हैं लेकिन यह वक्त संशय और अंदेशे में झूलने का नहीं, स्टार्टअप की ओर कदम बढ़ाने का है, क्योंकि इसके लिए फंडिंग प्रक्रिया को अब सरकार आसान करने जा रही है। एक सूचना के मुताबिक पीएमओ के हस्तक्षेप से ऐसा संभव हुआ है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और उद्योग मंत्रालय अब स्टार्टअप में सकारात्मक हस्तक्षेप कर सकते हैं। अब आसानी से स्टार्टअप के लिए आर्थिक देय का इंतजाम किया जा सकता है। स्टार्टअप को एंजेल टैक्स में छूट मिल सकती है। गौरतलब होगा कि स्टार्टअप सफल बनाने के लिए एकदम यूनिक आइडिया ही हाथ में लें। ऐसा भी कर सकते हैं कि किसी पुराने आइडिया अथवा काम को नए तरीके से करने की शुरुआत कर सकते हैं। जानकारों का कहना है कि स्टार्टअप सफल होने के लिए ऑब्जेक्टिव और गोल फोकस में होना चाहिए। 

शुरू में अपनी कंपनी का नाम, उसका लोगो और कंपनी के विजन-मिशन पर काम करना चाहिए। इंफोसिस के डायरेक्‍टर रहे टीवी मोहनदास पई भले भारत सरकार के स्‍टार्टअप मिशन पर सवाल उठाएं लेकिन वह भी इस बात को मानते हैं कि जो सफलतापूर्वक स्टार्टअप में एक्टिव हैं, उनके फ्यूचर भी अच्‍छे हैं। यद्यपि उनका ये भी कहना है कि स्टार्टअप में उम्‍मीद जितनी सफलता नहीं दिख रही है। इस समय देश में 30, 000 स्टार्टअप हैं, जो लगभग 3.5 लाख लोगों को रोजगार दे रहे हैं। हर साल लगभग पांच-छह हजार स्टार्टअप नए आ रहे हैं। पिछले साल स्‍टार्ट अप में 13.65 अरब डॉलर की फंडिंग हुई थी। आज यह 95 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।

सन् 2025 तक करीब एक लाख स्‍टार्टअप एक्‍शन में हो सकते हैं, जिनमें लगभग 32 लाख लोगों को रोजगार मिल सकता है लेकिन ज्यादातर र्स्‍टाट अप के फेल होने की भी आशंकाएं बनी रहेंगी। इंडस्‍ट्री के नेचर के हिसाब से करीब 60 फीसदी स्‍टार्टअप अनफिट लगते हैं। दूसरी तरफ ताजा जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय में शीर्ष मंत्रणा के बाद आईटी विभाग और उद्योग मंत्रालय स्टार्ट अप सम्बंधी महत्वपूर्ण प्रस्तावों को अंतिम रूप दे रहे हैं। अब टैक्स छूट पाने वाले स्टार्ट अप का दायरा बढ़ सकता है। एक तय रकम तक के निवेश पर एंजेल टैक्स में छूट मिल सकती है। एंजेल टैक्स से स्टार्ट अप व्यक्तिगत निवेश पर भी फ्री हो सकता है।

मामूली निवेश पर स्टार्टअप का एक बेहतर आइडिया सीसीटीवी (क्‍लोज सर्किट टेलीविजन) बनाने के उद्यम का हो सकता है। देश में सीसीटीवी का मार्केट ग्रोथ पर है। एक अनुमान के मुताबिक दो साल में देश में सीसीटीवी मार्केट करीब पंद्रह-हीस हजार करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है। सीसीटीवी का सरकारी स्तर पर इस्‍तेमाल तो बढ़ ही रहा है, कारपोरेट और घरेलू स्तर पर भी इसका एक बड़ा बाजार खड़ा हो चुका है। सुरक्षात्मक जागरूकता से भी इसके बाजार का विस्तार होता जा रहा है। ऐसे में सीसीटीवी बनाने की यूनिट लगाकर हर महीने कम से कम तीन लाख रुपए तक की कमाई हो सकती है। अब अपनी यूनिट लगानी है तो सबसे पहले अपनी जमीन की जरूरत होगी। रीयल स्टेट का आज जो हाल है, किसी भी औसत उद्यम के लिए दो तिहाई लागत तो जमीन खरीदने में ही चली जाती है। लेकिन घबराइए नहीं, सीसीटीवी यूनिट के लिए ज्यादा नहीं, कम से कम एक हजार वर्ग गज की जमीन ही पर्याप्त है। इसे किराए पर भी लिया जा सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक सालाना छह हजार सीसीटीवी सेट्स के प्रोडक्‍शन के लिए लगभग एक हजार वर्ग फुट जगह चाहिए। इसके बाद मशीनरी और इक्विपमेंट यानी ऑसिलस्‍कोप, डीसी पावर सप्‍लाई, एनलॉग मल्‍टीमीटर, बेंच ड्रिलिंग मशीन, प्रोटेबल ग्राइंडर, टूल किट्स आदि पर एक लाख के आसपास निवेश करना होगा।

इसके अलावा ऑफिस के इंफ्रास्ट्रक्चर, इलेक्ट्रिफिकेशन, फर्नीचर, फिक्‍सचर आदि पर डेढ़ लाख तक खर्च हो सकते हैं। प्रोडक्शन होने तक शुरू में कुल लागत बीस से पचीस लाख के बीच आ सकती है। सीसीटीवी कैमरा उन व्यक्तियों का अच्छा मित्र साबित होता है जिनका अपना खुद का कोई व्यापार या कोई संस्थान है। एक नेटवर्किंग सीसीटीवी कैमरा डिजिटल और अनलॉग दोनों तरीके का होता है। इसमें एक अंदरूनी विडियो सर्वर लगा होता है जिसका खुद का आईपी एड्रेस होता है। किसी भी नेटवर्किंग सीसीटीवी कैमरे को इंस्टाल करने के लिए कई बातें गौरतलब होती हैं। ज्यादातर सीसीटीवी कैमरे चाहे वे साधारण सीसीटीवी कैमरे हों या नेटवर्किंग सीसीटीवी कैमरे, एक यूजर मैन्युअल के साथ आते हैं, जिनमें उस कैमरे से जुड़ी हर बारीकी के बारे में बताया गया होता है। ये भी बताया गया होता है कि उसे इनस्टॉल कैसे करें। सीसीटीवी को तारों से जोड़ते वक्त सही दिशा, सही जगह और सही प्रकार के तार का चुनाव और मैन्युअल में प्रदर्शित संकेतों के अनुसार सीसीटीवी की फिटिंग होनी चाहिए। सबसे पहले तो बिजली की सही केबल खरीदें क्योंकि सही तारों से ही फिटिंग सही तरीके से की जा सकती है। तार की लम्बाई भी जरूरत से थोड़ी ज्यादा हो ताकि काट-छांट करने के बाद भी जरूरत से कम न रहे।

सीसीटीवी यूनिट में एम्पलॉई के नाम पर सिर्फ एक आदमी की जरूरत होती है, जो इंस्‍टॉलेशन यानी इसे लगाने का काम कर ले। अगर बिजनेस अच्छा चल जाए तो आप महीने में कई लाख भी कमा सकते हैं, क्योंकि बड़े से लेकर छोटे शहरों और बड़े से लेकर छोटे व्यवसायिक प्रतिष्ठानों सभी के लिए यह जरूरी होता जा रहा है। सीसीटीवी के इन्‍स्‍टॉलेशन से लेकर मेंटनेंस तक सभी काम से जुड़े शर्मा के अनुसार मेट्रो ही नहीं, दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों में भी लोग सुरक्षा के प्रति सजग हो रहे हैं, जिससे आने वाले दिनों में सीसीटीवी मार्केट की ग्रोथ और आकार में और इजाफा होगा। 

सीसीटीवी बाहरी ही नहीं, आंतरिक सुरक्षा यानी घर के अंदर की सुरक्षा के लिहाज से भी जरूरी है। सीसीटीवी कैमरा एक क्‍लोज सर्किट सिस्‍टम है, जिसमें सभी एलिमेंट्स सीधे जुड़े होते हैं। सीसीटीवी सिक्युरिटी कैमरे के द्वारा रिकॉर्ड किए गए पिक्चर या वीडियो को प्रसारित नहीं किया जाता, बल्कि इसको रिकॉर्डिंग सिस्टम की तरह यूज किया जाता है। डोम सीसीटीवी कैमरा आमतौर पर घरों, कैसीनो, रिटेल स्‍टोर और रेस्तरां के अंदर निगरानी के लिए इस्तेमाल किया जाता है। उनके डोम के आकार से बताना मुश्किल हो जाता है कि कैमरा किस दिशा में है। पीटीजेड कैमरा पैन-टिल्ट-जूम स्टाइल के कैमरे सर्विलांस के वक्त दाएं-बाएं घुमाया जा सकता है। संवेदनशील जगहों- जैसे गोदाम या रक्षा प्रतिष्ठानों की निगरानी के लिए ये बेहतर होते हैं।

ये भी पढ़ें: इस साल इन स्टार्टअप्स पर रहेगी सबकी नज़र