शौक को बदला कारोबार में, अब कर रहे हैं ‘सिटी शोर’
हर छोटी बड़ी चीज से कराते हैं रू-ब-रू ... खाने-पीन से लेकर फैशन तक की देते हैं जानकारी ... अप्रैल, 2013 से शुरू किया कारोबार ...
बहुत सारे लोग ऐसे होते हैं जो सालों से एक ही शहर में रहते हैं लेकिन वो अपने शहर की खूबियों से परिचित नहीं होते,वो उन खास जगहों के बारे में नहीं जानते जो उनके आसपास ही होती हैं। कुछ ऐसा ही अनुभव किया अहमदाबाद के दो दोस्त पल्लव पारिख और पंकज पाठक ने। जब उन्होने नरेंद्र मोदी का भाषण सुना जिसमें उन्होने जसूबेन के पिज्जा के बारे में बताया था। जिसके बाद उनको लगा कि वो सालों से इसी शहर में रहते हुए भी ऐसी जगह नहीं ढूंढ पाये तो ना जाने कितने और लोग होंगे जो ऐसी जगहों से परिचित नहीं होगें। बस यहीं से इन दो दोस्तों ने अहमदाबाद के ऐसे जगहों की तलाश शुरू कर दी जो अपने आप में खास हो लेकिन ज्यादा लोग उनके बारे में नहीं जानते थे।
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टीम 'सिटी शोर'
‘सिटी शोर’ को शुरू करने वाले पल्लव और पंकज दोनों के शौक अलग अलग है। पल्लव को जहां घुमने फिरने का शौक है वहीं पंकज लिखने पढ़ने के शौकिन। उद्यमी बनने से पहले दोनों एक साथ एक कंपनी में काम करते थे। आज दोनों मिलकर कारोबार चला रहे हैं। इन लोगों की टीम में चार और लोग भी हैं जो इनके काम में मदद करते हैं। ये हैं चाहत शाह, निर्जरी शाह, राहुल और शेखर निर्मल। ये सभी लोग उन नई जगहों और लोगों की तलाश करते हैं जो अपने आप में कमाल के हैं और उनके बारे में ‘सिटी शोर’ में जानकारी देते हैं।
‘सिटी शोर’ बताता है कि अहमदाबाद में बढ़िया खाना, शानदार फैशन, यात्रा करने की मशहूर जगह, शहर में आयोजित विभिन्न कार्यक्रम, घर की सजावट के लिए बढ़िया सामान और मनोरंजन की ऐसी कौन कौन सी जगह हैं और वहां पर क्या है खास। उदाहरण के लिए अहमदाबाद में रहने वाले कितने लोग बिना पंख के पंखे कहां मिलते हैं ऐसी जगह को जानते हैं। ‘सिटी शोर’ एक ऑनलाइन मीडिया कंपनी है जिसका लक्ष्य प्रिंट, रेडियो और होर्डिंग के फासले को पाटना है जो कि किसी भी उत्पाद को बढ़ावा देने में मददगार साबित हो सकता है।
‘सिटी शोर’ की औपचारिक शुरूआत 10 अप्रैल, 2013 को हुई थी लेकिन इन लोगों ने उसी साल जनवरी से काम करना शुरू कर दिया था। ये लोग अपने साथ और दूसरे कई ऑनलाइन पार्टनर ढूंढ रहे हैं। ऐसे काम के लिए विज्ञापन ही आय का बड़ा स्रोत होता है इसलिए इन लोगों की कोशिश विज्ञापन के बाजार को बजलने की है। ये लोग अहमदाबाद में रहकर ही अपना काम कर रहे हैं ऐसे में इन लोगों को अपनी क्षमताओं के बारे में अच्छी तरह से पता है। फिलहाल इन लोगों की कोशिश अपने साथ भरोसमंद लोगों को जोड़ने की है जिसके बाद ही ये लोग अपने विस्तार के बारे में विचार करेंगे।
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ये लोग अहमदाबाद के हर नुक्कड और कोने में जाकर उसे ‘सिटी शोर’ के साथ जोड़ना चाहते हैं। जिसके बाद दूसरे शहरों में भी इसी मॉडल को अपनाने की इनकी योजना है। हाल ही में इन लोगों ने एक मुहिम चलाकर कुछ लोगों की अपने यहां भर्तियां की है और इन्होने मुहिम का नाम दिया था ‘द बेस्ट जॉब इन अहमदाबाद’ जहां पर ऐसे लोगों की तलाश थी जो पिक्चर देखने, खाने-पीने, खरीदारी करने, ट्विटर और फेसबुक को पसंद करने के अलावा दूसरे लोगों से मिलने जुलने के शौकिन हों।