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भारत-तिब्बत सीमा पर देश की रक्षा करने वाली पहली महिला ऑफिसर होंगी बिहार की प्रकृति

देश की रक्षा करेंगी अब बिहार की प्रकृति...

भारत-तिब्बत सीमा पर देश की रक्षा करने वाली पहली महिला ऑफिसर होंगी बिहार की प्रकृति

Friday March 09, 2018 , 4 min Read

प्रकृति ने बताया कि उन्होंने 2016 में अखबार में एक खबर पढ़ी कि सरकार ने आईटीबीपी में महिलाओं को कॉम्बैट ऑफिसर के तौर पर नियुक्ति प्रदान करेगी। इसके बाद मैंने सीएपीएफ की तैयारी शुरू कर दी और चॉइस में ITBP को पहले स्थान पर रखा। 

प्रकृति

प्रकृति


ITBP में उच्च पदों पर कुछ महिलाएं काम करती थीं, लेकिन वे डॉक्टर या फिर टेक्निकल ग्रुप के कामकाज संभालती थीं। कॉम्बैट ऑफिसर के तौर पर नियुक्ति पहली बार हो रही है।

आज तो महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी जगह बना रही हैं। लेकिन कुछ क्षेत्र ऐसे थे जहां उनकी उपस्थिति नहीं थी। इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस (ITBP) एक ऐसा ही अर्धसैनिक बल था जहां पर असिस्टेंट कमांडेंट के लेवल पर महिलाओं को नहीं लिया जाता था। लेकिन बीते साल से वहां भी महिलाओं के लिए प्रवेश द्वार खोल दिए गए थे। बिहार की रहने वाली 25 प्रकृति ऐसी पहली महिला बन गए हैं जो कि ITBP में डायरेक्ट-एंट्री कॉम्बैट ऑफिसर के पद पर तैनात होंगी। उन्होंने पिछले साल इस परीक्षा में सफलता हासिल की थी।

बिहार के समस्‍तीपुर की रहने वाली प्रकृति ने अपने पहले ही प्रयास में यह मुकाम हासिल किया था। उन्होंने कहा, 'मैं हमेशा से ही वर्दी पहनकर देश की सेवा करना चाहती थी। मेरे पिता भारतीय वायु सेना में हैं, वह मेरे लिए हमेशा से प्रेरणास्रोत रहे हैं।' प्रकृति ने बताया कि उन्होंने 2016 में अखबार में एक खबर पढ़ी कि सरकार ने आईटीबीपी में महिलाओं को कॉम्बैट ऑफिसर के तौर पर नियुक्ति प्रदान करेगी। इसके बाद मैंने सीएपीएफ की तैयारी शुरू कर दी और चॉइस में ITBP को पहले स्थान पर रखा। रिजल्ट आया और कठिन परिश्रम के बूते उन्होंने सफलता भी हासिल कर ली।

प्रकृति ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया था। उन्हें अभी उत्‍तराखंड के पिथौरागढ़ स्थित आईटीबीपी के बेस कैंप पर तैनात किया गया है। अभी देहरादून में उनकी ट्रेनिंग भी चल रही है। ट्रेनिंग पूरी हो जाने के बाद उन्‍हें असिस्‍टेंट कमांडेंट के पद पर तैनात किया जाएगा। उन्‍हें भारत-चीन सीमा से सटे नाथुला दर्रा जैसे स्‍थानों पर तैनाती दी जा सकती है। प्रकृति की एक और अच्छी बात यह है कि वह अपने नाम के आगे सरनेम नहीं लगाती हैं। वह कहती हैं कि उनके माता-पिता ने जानबूझ कर उनका सरनेम नहीं रखा क्योंकि वे एक जातिविहीन समाज की कल्पना करते हैं और उसे साकार करने के लिए ऐसा किया गया।

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प्रकृति ने बताया, 'मेरे पैरेंट्स ने मुझे पूरी तरह से सपोर्ट दिया। मैं चाहती हूं कि देश के हर माता-पिता अपनी बेटियों से ऐसे ही प्यार करें और उन्हें मनचाहा करियर चुनने की आजादी दें।' सीआपीएफ और सीआईएसएफ जैसे अर्द्धसैनिक बलों में महिलाओं के लिए काफी पहले से ही कमांडेंट बनने का विकल्प था, लेकिन बाकी बलों में बाद में महिलाओं को जाने की इजाजत दी गई। ITBP में उच्च पदों पर कुछ महिलाएं काम करती थीं, लेकिन वे डॉक्टर या फिर टेक्निकल ग्रुप के कामकाज संभालती थीं। कॉम्बैट ऑफिसर के तौर पर नियुक्ति पहली बार हो रही है।

आईटीबीपी का गठन 1962 में हुआ। देश का यह अर्धसैनिक बल चीन के साथ वास्‍तविक नियंत्रण रेखा पर 3,488 किमी के इलाके की सुरक्षा की जिम्‍मेदारी संभालती है। आईटीबीपी में 2009 से महिलाओं की भर्ती जवान के तौर पर शुरू की गई थी। लेकिन असिस्टेंट कमांडेंट लेवल पर महिलाओं की नियुक्ति का कोई प्रावधान नहीं था। 83 हजार जवानों की संख्‍या वाली आईटीबीपी में करीब 1,661 महिला जवान हैं। देश के सभी अर्द्धसैनिक बलों में असिस्टेंट कमांडेंट की नियुक्ति सीएपीएफ (AC) के माध्यम से होती है। यह परीक्षा हर साल यूपीएससी द्वारा आयोजित कराई जाती है जिसमें CISF, CRPF BSF, ITBP, SSB जैसी सेवाओं के लिए नियुक्ति की जाती है।

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