संघर्षों से रेस लगाकर सफलता हासिल करने वाली बुलेट रानी रोहिणी
वो सब काम करती है ये लड़की, जिन्हें हम सोचते हैं कि ये तो सिर्फ पुरुषों के काम हैं...
आज ड्राइविंग से लेकर मैकेनिक तक का काम लड़कियां कर रही हैं। इनमें से एक हैं रोहिणी, रोहिणी वो सब काम करती हैं जिन्हें हम सोचते हैं कि ये काम केवल पुरुष ही कर सकते हैं।
रोहिणी आज 15 हजार रुपए महीने कमाती हैं। वे एक ऐसी सर्वाइवर हैं जो अपनी पुरानी गलतियों से सीखते हुए नए मुकाम हासिल करने की इच्छा रखती हैं। एक बार बाइक की टेस्ट ड्राइव के समय ब्रेक फेल हो गए हालांकि वे सुरक्षित बच गईं।
किवदंतियां हैं कि कुछ काम पुरुषों के लिए बने हैं। जिनमें ड्राइविंग और मैकेनिकल भी शामिल है। अक्सर कहा जाता है कि मैकेनिकल इंजीनियरिंग की क्लासेस में केवल लड़के होते हैं। लड़कियां मैकेनिकल में एडमिशन नहीं लेती हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। आज ड्राइविंग से लेकर मैकेनिक तक का काम लड़कियां कर रही हैं। इनमें से एक हैं रोहिणी, रोहिणी वो सब काम करती हैं जिन्हें हम सोचते हैं कि ये काम केवल पुरुष ही कर सकते हैं।
हाल ही में उन्हें तब 'बुलेट रानी' का दर्जा मिला, जब उनका रॉयल एनफील्ड बुलेट की टेस्ट ड्राइव करते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। उनकी बाइक पर पकड़ काफी अच्छी है। वह पुरुष वर्चस्व वाले प्रोफेशन में उतर कर समाज की स्थापित मान्यताओं को तोड़ रही हैं। उन्हें दो पहिया की रिपेयरिंग की भी अच्छी जानकारी है। हालांकि, उन्हें बुलेट रानी नाम पसंद है। वह गर्व के साथ बताती हैं कि मैं सिर्फ बुलेट की ही नहीं, हर तरह के दो पहिया की रिपेयरिंग कर सकती हूं। रोहिणी कहती हैं कि मैं किसी भी गाड़ी के सभी हिस्सों को अलग करके उन्हें फिर से जोड़ सकती हूं।
पिता ने भी की मदद
रोहिणी चार बहने हैं। वे उनमें सबसे छोटी हैं। उनके पिता रवि भी मैकेनिक हैं और 40 साल से इस पेशे से जुडे़ हुए हैं। वह अपनी बीवी और बेटियों को भी इस प्रोफेशन में लाना चाहते थे। उनका मकसद न सिर्फ उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करना था, बल्कि इस सेक्टर की दूसरी महिलाओं की भी सुरक्षा सुनिश्चित करना था। रवि का कहना है, "मुझे पुरुष सहायक रखने में समस्या थी। इसकी सबसे बड़ी वजह थी कि यह रोड महिला कॉलेज के सामने पड़ता है। मुझे इस बात की फिक्र थी कि अगर मैं किसी नौजवान लड़के को अपने साथ काम पर रखता हूं, तो अनुशासन संबंधी समस्या हो सकती है।" रवि की पत्नी ने उनके काम में उनकी मदद की। उन्होंने अपनी बड़ी बेटी को मैकेनिक की ट्रेनिंग दी थी, लेकिन उसने शादी के काम छोड़ दिया।
रोहिणी कहती हैं, 'मैं स्कूल नहीं जा पाई, लेकिन मैं बाइक रिपेयरिंग के बारे में काफी कुछ जानती हूं।' 2008 में रोहिणी ने अपने पिता की मदद करनी शुरू कर दी। वह स्कूल से वापस आने के बाद अपनी किताबें गैरेज में लेकर आती थीं। वहां पर वह अपनी मां का काम संभालती थीं। वह अपने पिता की मदद करते हुए भी अपने होमवर्क को पूरा करती थीं। वह पार्ट टाइम में किराना समान की डिलीवरी करने वाली लड़की के रूप में भी काम करती थीं। उस समय उनके अंदर बाइक को लेकर ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन वह वित्तीय तौर पर अपने परिवार की मदद करना चाहती थीं।
लेकिन, आज हजारों लड़कियों के लिए रोल मॉडल बन चुकी रोहिणी की जिंदगी में 7 जुलाई 2008 को एक दुखद हादसा हो गया। उस दिन वह किराना समान की डिलीवरी करके लौट रही थीं। उसी समय एक बस ने उनकी साइकिल को टक्कर मार दी। वह पूरे 20 दिनों तक बेड पर पड़ी रहीं। उनकी बोर्ड परीक्षा भी छूट गई। उसके वह अपनी आगे की पढ़ाई को जारी नहीं रख पाईं। उनके मन में आज भी यह बात आती है कि अगर वह स्कूली पढ़ाई को पूरी कर लेती, तो उसके बाद क्या करना पसंद करतीं। रोहिणी कहती हैं, "आज मेरे इंटरव्यू, मुझे उन सपनों की याद दिलाते हैं, जो बहुत समय पहले की खो चुके हैं। हालांकि, उसके बाद मुझे इस बात का अहसास होता है कि मैं दूसरी लड़कियों के लिए रोल मॉडल बनी। कड़ी मेहनत के साथ कुछ भी हासिल करना संभव है।" अपनी पढ़ाई छोड़ने के बाद रोहिणी ने तय किया कि वह फुल टाइम जॉब करने के साथ-साथ दो पहिया वाहन को रिपेयर करना सीखेंगी।
लेकिन रोहिणी के लिए ये सफर आसान नहीं था। जैसा आमतौर पर एक अवधारणा है कि किसी शॉप में अगर लड़कियां काम करती हैं तो ग्राहक ज्यादा आते हैं। लेकिन रोहिणी के साथ ऐसा नहीं था। गांव में रिपेयरिंग की दुकान खोलने के बाद उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा। शुरुआत में तो दिन में बमु्श्किल तीन से चार ग्राहक आते थे। किसी-किसी दिन ये हालत और भी खराब रहती थी।
लेकिन रोहिणी ने हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने सोचा कि ये किसी भी औरत के लिए गांव में अपना करियर बनाने की आइडियल शुरुआत है। वे रिपेयरिंग के काम के लिए अन्य महिलाओं को भी ट्रेन करने के लिए तैयार हो गईं। रोहिणी आज 15 हजार रुपए महीने कमाती हैं। वे एक ऐसी सर्वाइवर हैं जो अपनी पुरानी गलतियों से सीखते हुए नए मुकाम हासिल करने की इच्छा रखती हैं। एक बार बाइक की टेस्ट ड्राइव के समय ब्रेक फेल हो गए हालांकि वे सुरक्षित बच गईं। तब से उन्होंने अपने पापा से वादा किया कि वे अब कभी हाई स्पीड नें बाइक नहीं चलाएंगी।
रोहिणी कहती हैं कि वे स्कूल के समय से ही साइकलिंग करतीं थी। उन्हें साइकिल दौड़ाना काफी पसंद था। अब रोहिणी हर रविवार को ऑफ लेती हैं सोती हैं, मेहंदी लगाती हैं और भी अनेकों घरेलू काम करती हैं। रोहिणी ने कई सामाजिक संगठनों से अपने दृढ़ संकल्प और पेशेवर उत्कृष्टता के लिए पुरस्कार जीते हैं। लेकिन वह अभी भी आश्चर्य करती है कि जीवन कैसे बदल सकता था अगर वे अपनी शिक्षा पूरी कर पातीं।
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