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घर बैठे पढ़ाई और इलाज: ये भारतीय स्टार्टअप दे रहे हैं सारी सुविधाएं

घर बैठे पढ़ाई और इलाज: ये भारतीय स्टार्टअप दे रहे हैं सारी सुविधाएं

Monday November 26, 2018 , 6 min Read

भारत टेक्नोलॉजी स्टार्टअप में भी तहलका मचा रहा है। हमारे देश में ऐसे स्टार्टअप की संख्या चार हजार से ऊपर पहुंच चुकी है। ऐसे स्टार्टअप घर बैठे गरीब छात्रों को हायर एजुकेशन और गर्भवती महिलाओं को मेडिकल सेवाएं दे रहे हैं।

सांकेतिक तस्वीर

सांकेतिक तस्वीर


एंड्रॉयड ऐप्लिकेशन 'हैशलर्न नाउ' स्कूली बच्चों को आईआईटी और बिट्स पिलानी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के शिक्षकों के साथ तुरंत जुड़ने और उनकी मदद से उनके विषय से संबंधित जिज्ञासाओं एवं संदेहों को दूर करने में मदद कर रहा है। 

अब तो टेक्नोलॉजी में भी स्टार्टअप को कामयाबी मिल रही है। भारत टेक्नोलॉजी स्टार्टअप की संख्या के लिहाज से दुनिया में तीसरे स्थान पर है। भारत में 4200 टेक्नोलॉजी स्टार्टअप हैं। 47 हजार की संख्या के साथ अमेरिका पहले और 4500 के साथ ब्रिटेन दूसरे स्थान पर है। थॉट आर्बिट्रेज रिसर्च इंस्टीट्यूट के सहयोग के साथ उद्योग चैंबर एसोचैम के अध्ययन में यह बात कही गई है। इसके मुताबिक, भारत में बेंगलुरु में सबसे ज्यादा टेक्नोलॉजी स्टार्टअप हैं। इसके बाद दिल्ली-एनसीआर और मुंबई का स्थान है। उभरते टेक्नोलॉजी उद्यमियों के बीच हैदराबाद और चेन्नई भी काफी लोकप्रिय हैं।

भारत का टेक्नोलॉजी स्टार्टअप रेवरी टेक टेक्नोलॉजी की एक ऐसी कंपनी है, जो एप और प्लेटफार्म के जरिए ऑनलाइन शॉपिंग, सर्च और सोशल मीडिया का इस्तेमाल आसानी से करने के अवसर दे रही है। कंपनी ने अपने प्लेटफार्म को और मजबूत करने के लिए एस्पाडा और क्वॉलकॉम जैसे दिग्गज वेंचर कैपिटलिस्ट से 40 लाख डॉलर की फंडिंग जुटाई है। कंपनी इसका इस्तेमाल टेक्नोलॉजी बढ़ाने और भारत से बाहर बिजनेस फैलाने में कर रही है।

गौरतलब है कि कुछ साल पहले गूगल के साथ मिलकर रेवरी ने 'स्वलेख' नाम का ऐप लॉच किया, जिससे मोबाइल पर 11 भारतीय भाषाओं में टाइप, टेक्स्ट और ट्वीट किया जा सकता है। स्वलेख की सफलता देख अब रेवरी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कारोबार बढ़ा रही है। यूएन के आंकड़ों के हिसाब से दुनिया की करीब 600 करोड़ की आबादी में 200 करोड़ से भी कम लोग अंग्रेजी बोलते समझते हैं। रेवरी की नजर बाकी 400 करोड़ की बड़ी आबादी पर है।

केयरएनएक्स भी एक ऐसा सफल टेक्नोलॉजी स्टार्टअप है, जो गर्भवती ग्रामीण महिलाओं के लिए वरदान बन कर आया है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक एक दिन में लगभग आठ सौ गर्भवती महिलाएं दिक्कतों के चलते अपनी जान गंवा देती हैं। इनमें से अधिकतर मृत्यु अफ्रीका और भारत के पिछड़े इलाकों में हो रही हैं, जहां पर्याप्त स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं। टेक्नोलॉजी स्टार्टअप के क्षेत्र में कदम रखते हुए शांतनु पाठक और आदित्य कुलकर्णी की CareNx उन कंपनियों में से एक है, जो मातृ स्वास्थ्य देखभाल में बड़े बदलाव लाने की कोशिश में लगी है, ताकि ग्रामीण इलाकों में गर्भवती महिलाओं को आधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं मिले।

कंपनी ने अब तक डेढ़ सौ से ज्यादा गांवों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाई हैं, और ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद करने के लिए अब देश के बड़े कॉर्पोरेट के साथ मिलकर काम कर रही है। कंपनी के केयरमदर किट में आठ तरह के टेस्ट किए जा सकते है। इसमें एचबी, बीपी, यूरिन, एफएचआर मीटर, वेट स्केल, ग्लूकोमीटर और थर्मोमीटर शामिल है। इस किट के जरिए गर्भवती महिला के टेस्ट इनके घर जाकर या गांव के हेल्थकेयर सेंटर्स में किए जा सकते हैं। ये पूरा किट मोबाइल ऐप से कनेक्टेड है यानि केयरमदर एक तरह से मोबाइल प्रेगनेंसी हेल्थ केयर है, जो प्रेगनेंसी में होने वाली दिक्कतों का समय पर निदान कर सही इलाज कराने में मदद करता है।

एक और टेक्नोलॉजी स्टार्टअप एजुकेशन सेक्टर में धूम मचा रहा है। कठिन विषय भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और गणित की समस्याओं से जूझ रहे स्कूली बच्चे एक नए स्मार्टफोन एप्लीकेशन की मदद से देश में प्रतिभाशाली शिक्षकों से नि:शुल्क वन-टू-वन ट्यूशन ले सकते हैं। बेंगलुरू की शिक्षा प्रौद्योगिकी स्टार्टअप द्वारा विकसित एक एंड्रॉयड अप्लिकेशन 'हैशलर्न नाउ' स्कूली बच्चों को आईआईटी और बिट्स पिलानी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के शिक्षकों के साथ तुरंत जुड़ने और उनकी मदद से उनके विषय से संबंधित जिज्ञासाओं एवं संदेहों को दूर करने में मदद कर रहा है। यह सेवा सप्ताह के सातों दिन चौबीसो घंटे उपलब्ध रहती है।

इसमें 8वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए गणित, भौतिकी और रसायन विज्ञान विषय को शामिल किया गया है। इसके तहत सभी बोर्डो और राज्य/राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षाओं को कवर किया जा रहा है। 'हैशलर्न नाउ' तीन चरण वाली सरल प्रक्रिया का पालन करता है। छात्र एक विषय चुनते हैं और सत्र शुरू करने के लिए जिस समस्या को हल करना चाहते हैं, उसकी इमेज को अपलोड करते हैं। कुछ ही क्षणों में वे विषय के विशेषज्ञ से जुड़ जाते हैं। समस्या हल हो जाने और सत्र खत्म हो जाने के बाद वे अपने ट्यूटर्स की रेटिंग करते हैं। इस एप्लीकेशन में छात्रों के लिए फ्री हजारों अभ्यास प्रश्न हैं, जिन्हें हल कर छात्र अपने कौशल को सुधार सकते हैं। इसके लांच होने के बाद से गूगल प्ले स्टोर पर हजारों छात्रों के द्वारा इसे डाउनलोड किया जा चुका है। इस एप्लीकेशन को 7676187100 पर मिस्ड कॉल देकर या 56263 पर 'गेटनाउ' एसएमएस कर डाउनलोड किया जा सकता है।

कनाडा की एक ऐसी ही टेक्नोलॉजी स्टार्टअप कंपनी ने ऐसा स्मार्ट चश्मा बनाया है, जो रोजमर्रा की जिंदगी को आसान बना देता है। इस साल के अंत तक यह चश्मा कनाडा और अमेरिका में मिलने लगेगा। इसके स्टोर पर चेहरे की डिजिटल स्कैनिंग होती है। इसी के आधार पर यह स्मार्ट चश्मा बनाया जाता है। कंपनी ने अमेरिका-कनाडा में इसके प्री-ऑर्डर के लिए बुकिंग शुरू कर दी है। इसकी शुरुआती कीमत 75 हजार रुपए है।

फोकल्स स्मार्ट चश्मे में छोटा सा प्रोजेक्टर लगाया गया है। पहनने वाले के चेहरे के हिसाब से इसे कस्टमाइज किया जा सकता है। सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह यूजर के होम स्पीकर से जुड़ जाता है। इससे चश्मे के जरिए वॉयस कमांड दिए जा सकते हैं। यह मोबाइल के मैसेज पढ़कर सुनाता है। इसके अलावा मौसम के अपडेट भी देता रहता है। यदि कोई टास्क तय कर रखा है तो अलर्ट भी करता है, यानी मोबाइल पर आने वाले सभी अलर्ट इस स्मार्ट ग्लास पर मिलते रहते हैं। इस स्मार्ट ग्लास के साथ रिंगनुमा गैजेट 'लूप' भी आता है। इसे उंगली में पहनना पड़ता है। इसे ऑन करते ही नोटिफिकेशन आने शुरू हो जाते हैं।

लूप को जॉयस्टिक की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। लूप की मदद से नोटिफिकेशन को राइट या लेफ्ट अलाइन कर सकते हैं। इसके लैंस होलोग्राफिक डिस्प्ले वाले हैं। कंपनी ने इसे एलेक्सा (अमेजन के स्पीकर) से जोड़कर डेमो दिया है। डिजिटल असिस्टेंट से जुड़ने के बाद इसे कई सारे वॉयस कमांड दे सकते हैं। जैसे म्यूजिक प्ले करना, खबरें सुनना, मौसम की जानकारी लेना या फिर स्मार्ट होम को कंट्रोल करना जैसे काम इस स्मार्ट चश्मे के जरिए ही हो सकते हैं। फोकल्स सिंगल चार्जिंग के बाद अठारह घंटे लगातार काम करता है।

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