15 साल के लड़के ने बनाई ट्यूबवेल को फोन से चालू करने की डिवाइस, किसानों को होगा फायदा
15 वर्षीय ईशान ने किसानों के लिए बनाई एक ऐसी डिवाईस जिसकी मदद से मोबाइल फोन द्वारा ट्यूबवेल को घर बैठे ही चलाया जा सकता है...
ईशान रोज अपने स्कूल जाने वाले रास्तों पर लहलहाते खेतों और उसमें काम करने वाले किसानों को देखता था। वे देखता था कि कैसे तमाम महिलाएं भी खेती के काम में संलग्न हैं। एक दिन उसे किसानों से बात करने का मौका मिल गया तो पता चला कि किसानों की कई सारी समस्याएं हैं। इनमें से सबसे बड़ी समस्या बिजली की अनियमितता से जुड़ी हुई है और फिर उसने किसानों की समस्या का निराकरण करने के बारे में सोचा। उन्होंने ऐसी टेक्नॉलजी पर काम करना शुरू किया जिसके सहारे मोबाइल फोन के जरिए ट्यूबवेल को घर बैठे ही चलाया जा सके।
ईशान ने इस प्रॉजेक्ट के लिए क्राउड फंडिंग के जरिए पैसा जुटाया। थोड़ी मदद उनके स्कूल और माता-पिता ने भी। ईशान बताते हैं कि उनके पैरेंट्स उन्हें समाज को हमेशा कुछ न कुछ देने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं। वे मानते हैं कि शिक्षित और योग्य युवा दुनिया को बदलने की ताकत रखते हैं।
राजस्थान की राजधानी जयपुर में रहने वाले ईशान मल्होत्रा ने 15 साल की उम्र में ही ऐसी डिवाइस बना ली है जिससे किसानों को काफी लाभ मिलने वाला है। ईशान रोज अपने स्कूल जाने वाले रास्तों पर लहलहाते खेतों और उसमें काम करने वाले किसानों को देखते थे। वे देखते थे कि तमाम महिलाएं भी खेती के काम में संलग्न हैं। एक दिन उन्हें किसानों से बात करने का मौका मिल गया तो पता चला कि किसानों की कई सारी समस्याएं हैं। इनमें से सबसे बड़ी समस्या बिजली की अनियमितता से जुड़ी हुई है। ईशान बताते हैं, 'गांवों में बिजली का कोई ठिकाना नहीं होता। पता नहीं कब आ जाए और कब चली जाए। जितनी बार बिजली आती है उतनी बार किसानों को ट्यूबवेल पर जाकर उसका स्विच ऑन करना पड़ता है।'
ईशान बताते हैं कि खेत किसानों के घर से दूर होते हैं इसलिए चाहे रात हो या दिन इन किसानों को सिर्फ ट्यूबवेल चलाने के लिए खेतों तक जाना पड़ता है। जयश्री पेरीवाल इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ने वाले ईशान ने किसानों की इस समस्या का निराकरण करने के बारे में सोचा। उन्होंने ऐसी टेक्नॉलजी पर काम करना शुरू किया जिसके सहारे मोबाइल फोन के जरिए ट्यूबवेल को घर बैठे ही चलाया जा सके। वे 2015 से ही इस काम में लग गए और 2017 में ईशान ने कड़ी मेहनत से एक डिवाइस बनाई जो समर्सिबल पंप को घर बैठे ही मोबाइल से चालू या बंद कर सकती है। उन्होंने इसका नाम प्लूटो रखा।
इस डिवाइस के सहारे किसानों को बिजली की सप्लाई के बारे में भी जानकारी मिल सकती है। उन्होंने प्लूटो को कुछ किसानों को इस्तेमाल करने के लिए दिया और फिर उनका फीडबैक जानने की कोशिश की। पास के ही नेवाता गांव की किसान कृष्णा देवी बताती हैं, 'इस मशीन से हमारा काफी वक्त बर्बाद होने से बच जाता है। अब मेरे पति बाकी बचे हुए वक्त को और भी कामों में इस्तेमाल कर लेते हैं।' प्लूटो डिवाइस का मैन्यूअल अंग्रेजी के साथ ही हिंदी में भी लिखा गया है। प्लूटो डिवाइस की कीमत सिर्फ 500 रुपये है। इसका इस्तेमाल राजस्थान के साथ ही हरियाणा के 400 से भी अधिक किसान कर रहे हैं।
ईशान जयपुर के ही एक संस्थान से वीडियो गेम डिजाइन का कोर्स करर रहे थे, वहीं से उन्हें यह डिवाइस बनाने की प्रेरणा मिली। इसके अलावा वे किसानों के लिए काम भी करना चाहते थे। अपने स्कूल के पास किसानों को खेतों में काम करते वक्त उन्हें लगता कि तकनीक से किसानों को कुछ राहत दिलाई जा सकती है। इस काम में उनके इंस्टीट्यूट के इंस्ट्रक्टर शेरोल चेन ने भी काफी मदद की। ईशान को यह डिवाइस बनाते वक्त कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा। उन्हें शुरू में कई असफलताएं भी मिलीं लेकिन वे अपने काम को लेकर डटे रहे। दो साल की कड़ी मेहनत के बाद ईशान को आखिरकार सफलता मिल ही गई।
ईशान ने इस प्रॉजेक्ट के लिए क्राउड फंडिंग के जरिए पैसा जुटाया। थोड़ी मदद उनके स्कूल और माता-पिता ने भी। ईशान बताते हैं कि उनके पैरेंट्स उन्हें समाज को हमेशा कुछ न कुछ देने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं। वे मानते हैं कि शिक्षित और योग्य युवा दुनिया को बदलने की ताकत रखते हैं। ईशान कहते हैं, 'मैं एक सिख परिवार से ताल्लुक रखता हूं और मैंने हमेशा से अपने परिवार को समाज की सेवा करते हुए देखा है। मैंने तीन साल से ही सेवा करनी शुरू कर दी थी।' ईशान अपनी बहन के साथ प्रवाह एनजीओ से भी जुड़े हैं, जो पर्यावरण की दिशा में काम करता है।
अपनी प्लूटो डिवाइस के बारे में बताते हुए वे कहते हैं कि इसके लिए सिर्फ 2 जी नेटवर्क की जरूरत होती है और इसे मोबाइल या लैंडलाइन के सहारे भी चलाया जा सकता है। प्लूटो इनपुट/आउटपुट के सिद्धांत पर काम करता है। हर एक डिवाइस में एक सिमकार्ड लगा होता है जो कि ओपन सोर्स प्लेटफॉर्म के सहारे संचालित होता है। यह टेक्नॉलजी इलेक्ट्रॉनिक्स प्रॉडक्ट्स में इस्तेमाल होती है। ईशान के प्रयास को विज्ञान और प्रोद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन द्वारा सराहा जा चुका है। वे हर्षवर्धन से मिलकर अपनी डिवाइस के बारे में बता चुके हैं।
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