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कैसे मुन्नार की पहली महिला आईपीएस अफसर कर रही पुलिस व्यवस्था में बदलाव

1200 बाल विवाह रोकने वाली महिला आईपीएस रीमा राजेश्वरी...

कैसे मुन्नार की पहली महिला आईपीएस अफसर कर रही पुलिस व्यवस्था में बदलाव

Wednesday April 11, 2018 , 5 min Read

आपने ऐसे बहुत सारे लोगों को देखा होगा जो अच्छा काम करके समाज को धीरे-धीरे बदल रहे हैं। लेकिन अगर आपको यह सुनने को मिले कि कोई अफसर समाज को बदलने के साथ ही साथ अपनी पुलिस व्यवस्था को भी बदल रहा है तो ये सुनने में थोड़ा अटपटा सा लगता , लेकिन एक महिला आईपीएस हैं, जो ये सबकुछ कर रही हैं।

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आईपीएस रीमा राजेश्वरी मुन्नार की पहली महिला भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी थीं और 2009 की भारतीय पुलिस सेवा वर्ग में सबसे ऊपर थीं। वह वर्तमान में जोगुलम्बा गडवाल जिले में पुलिस अधीक्षक के रूप में तैनात हैं।

आपने ऐसे बहुत सारे लोगों को देखा होगा जो अच्छा काम करके समाज को धीरे-धीरे बदल रहे हैं। लेकिन अगर आपको यह सुनने को मिले कि कोई अफसर समाज को बदलने के साथ ही साथ अपनी पुलिस व्यवस्था को भी बदल रहा है तो ये सुनने में थोड़ा अटपटा सा लगता , लेकिन तेलंगाना राज्य के मुन्नार की पहली महिला आईपीएस रीमा राजेश्वरी कुछ ऐसा ही कर रही हैं। अपने आईपीएस कैरियर के सफ़र में उन्होंने बहुत सारे सराहनीय कार्य किये हैं।

तेलंगाना राज्य के मुन्नार की पहली महिला आईपीएस रीमा राजेश्वरी ने अब तक 1200 बाल विवाहों को रोक कर बच्चियों को बचाया, साथ ही मानसिक और यौन उत्पीड़न से पीड़ित देवदासियों को बचा व्यावसायिक प्रशिक्षण के द्वारा जीवन जीने का दूसरा मौका दिया। गाँवों के स्कूलों की जर्जर पड़ी इमारत को बनवाने के साथ-साथ रीमा ने बच्चों के लिए स्वच्छ पेय जल और शौचालयों की भी व्यवस्था करायी है।

केरल में खूबसूरत पहाड़ों के बीच बसे एक सुन्दर हिल स्टेशन मुन्नार (जो कि अंग्रेजी शासन के दौरान अंग्रेजों की ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करती थी) में पली बढ़ी आईपीएस रीमा राजेश्वरी अपनी दादी के द्वारा सुनाई गयी ब्रिटिश युग के दौरान सिविल सेवकों की कहानियों से बहुत अधिक प्रभावित थी। वो कहती हैं कि,"एक बच्चे के रूप में, मैं हमेशा से ही सिविल सेवा में भर्ती होना चाहती थी, 2008 में जब मैंने सिविल सर्विसेज परीक्षा को पास की और मुझे भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में आवंटित किया गया तब मैं इससे ज्यादा रोमांचित नहीं हो सकी थी"। आप में से जो लोग नहीं जानते हैं, उनके लिए हम बता देते है कि आईपीएस रीमा राजेश्वरी मुन्नार की पहली महिला भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी थीं और 2009 की भारतीय पुलिस सेवा वर्ग में सबसे ऊपर थीं। वह वर्तमान में जोगुलम्बा गडवाल जिले में पुलिस अधीक्षक के रूप में तैनात हैं।

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वो सबसे पहले 'ग्रेहाउंड्स' (एक विशिष्ट बल जो माओवादी विरोधी अभियान में माहिर है) में एक कमांडर के रूप में शामिल हुई थीं। 'ग्रेहाउंड' कमांडो जंगल युद्ध में विशेषज्ञ हैं, और यह सबसे अच्छे विद्रोही बलों के में से एक है। रीमा बताती हैं कि बच्चों के लिए किया गया काम सबसे ज्यादा यादगार है। "हमने अपने द्वारा किये हर ऑपरेशन से कई लोगों के जीवन को बदल दिया। बच्चों के साथ मेरा काम मेरे दिल के करीब है एक बच्चे को सहेजना और उसका भविष्य बनाना बहुत ही अच्छा काम होता है।"

समाज में प्रताड़ित महिलाओं, बच्चों और अन्य कमजोर वर्गों की मदद के लिए इनकी टीम कई अभियानों के द्वारा लोगों को जागरूक करने का काम कर रही है और इस प्रकार इनकी यात्रा शुरू हुई और इन्होंने कानून और व्यवस्था को व्यवस्थित बनाए रखने के साथ-साथ 'संवेदनशीलता' और 'सहानुभूति' पर पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षण देते हुए पुलिस विभाग में 'सामाजिक नवाचार' का उपयोग करना शुरू कर दिया।

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आईपीएस रीमा राजेश्वरी और उनकी टीम के द्वारा चलाये गये कुछ कार्यक्रम इस प्रकार हैं,

'Gender Peace Program' के तहत संवेदनशीलता प्रशिक्षण

महबूबनगर जिले में पुलिस अधीक्षक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने एक नागरिक समाज संगठन के लिंग प्रशिक्षकों को नियुक्त किया और विभिन्न पुलिस अधिकारियों को विभिन्न प्रकार के लिंग-आधारित हिंसा के शिकार लोगों के साथ व्यवहार करते हुए संवेदनशील होने के लिए प्रशिक्षित किया।

खाली पड़े प्राथमिक विद्यालय को बहाल करना

गांव के गोद लेने के कार्यक्रम के तहत, आसाराल पुलिस स्टेशन की एसएचओ के रूप में रीमा और उनकी टीम ने श्री श्रीनिवास के साथ, , कतावरम के छोटे से गांव को अपनाया और एक वहां के खाली पड़े प्राथमिक विद्यालय की पूरी रूप-रेखा को बदलकर 42 छात्रों के साथ दोबारा से स्कूल शुरू किया।

'देवदासियों' के बचाव और पुनर्वास के लिए कदम

आंध्र प्रदेश सरकार के द्वारा AP Devadasis (Prohibition of Dedication) Act, 1988 पारित होने के बावजूद भी, जोगिनी या देवदासी के घृणित कार्य दक्षिणी राज्यों के दूरदराज के क्षेत्रों में अभी भी जारी है। अकेले सिर्फ महबूब नगर जिले में ही 2000 से अधिक देवदासी पाई गयी। इन महिलाओं को बचाव और पुनर्वास करने के लिए, रीमा ने जनशिक्षण संस्थान के साथ मिलकर काम किया, जिसके तहत जोगीनियों को उनके निवास के आसपास के इलाकों में उपयुक्त क्षेत्रों में अपनी इच्छा के अनुसार व्यावसायिक कौशल प्रदान किया गया।

आईपीएस रीमा राजेश्वरी के द्वारा चलाये गये अभियानों द्वारा लोगों की ज़िन्दगी संवर रही है, जो कि सचमुच बहुत बड़ी बात है। वास्तव में किसी उच्च पद पर आसीन अधिकारी और पुलिस के द्वारा किया जाने वाला ये काम तारीफ़ के काबिल है।

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