10 साल की इस बच्ची का दिमाग चलता है 10वीं क्लास के बच्चों से भी तेज़
सामान्य परिवार से ताल्लुख रखने वाली चौथी क्लास में पढ़ने वाली दस साल की टैलेंटेड ग्रेही देना चाहती हैं 10वीं का एग्जाम...
ऐसा नहीं है कि ग्रेही का सिर्फ मन कर गया और वह दसवीं की परीक्षा देने जा रही है। दरअसल वह पढ़ने में इतनी तेज है कि जहां अभी उसे चौथी कक्षा में होना चाहिए था, वो दसवीं के गणित के सवाल हल कर ले रही है। इतना ही नहीं वह दसवीं में पढ़ाए जाने वाले कई सारे विषयों को पढ़ रही है। सबसे कठिन मानी जाने वाली क्वॉन्टम फिजिक्स में वह दिलचस्पी दिखा रहा है...
आप जानना चाहते होंगे कि इस छोटी सी बच्ची के तेज दिमाग के पीछे का राज क्या है। तो ज्यादा हैरान होने की जरूरत नहीं है। ग्रेही के पापा दिवस पांडेय बताते हैं कि शुरू से ही मेडिटेशन पर काफी ध्यान दिलाया है। वह उसे किसी भी बेकार की चीजों में दिमाग लगाने से मना करते थे।
सीबीएसई सहित लगभग सभी शिक्षा बोर्डों का एक नियम होता है कि कोई भी बच्चा दसवीं की परीक्षा देते वक्त 15 साल की उम्र का होना चाहिए। उससे कम उम्र के बच्चों को दसवीं की परीक्षा देने की अनुमति नहीं होती है। लेकिन अगर CBSE ने ग्रेही को छूट दे दी तो वह अगले साल 10वीं की परीक्षा में बैठेगी।
कहा जाता है कि जिस इंसान के भीतर पढ़ने और आगे बढ़ने की ललक होती है, वो अपने रास्ते खुद बना ही लेता है। उत्तराखंड के हल्द्वानी जिले की एक छोटी सी बच्ची ग्रेही सिर्फ 10 साल की उम्र में ही 10वीं का एग्जाम देने वाली है। ऐसा नहीं है कि ग्रेही का सिर्फ मन कर गया और वह दसवीं की परीक्षा देने जा रही है। दरअसल वह पढ़ने में इतनी तेज है कि जहां अभी उसे चौथी कक्षा में होना चाहिए था, वो दसवीं के गणित के सवाल हल कर ले रही है। इतना ही नहीं वह दसवीं में पढ़ाए जाने वाले कई सारे विषयों को पढ़ रही है। सबसे कठिन मानी जाने वाली क्वॉन्टम फिजिक्स में वह दिलचस्पी दिखा रहा है।
आप जानना चाहते होंगे कि इस छोटी सी बच्ची के तेज दिमाग के पीछे का राज क्या है। तो ज्यादा हैरान होने की जरूरत नहीं है। ग्रेही के पापा दिवस पांडेय बताते हैं कि शुरू से ही मेडिटेशन पर काफी ध्यान दिलाया है। वह उसे किसी भी बेकार की चीजों में दिमाग लगाने से मना करते थे। उन्होंने बताया कि इसके लिए तो उन्होंने अपनी नौकरी तक छोड़ दी थी। यही वजह है कि उनके दोनों बच्चे किसी भी अव्वल बच्चों से भी ज्यादा अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। ग्रेही का भाई गार्थ भी दूसरी क्लास में पढ़ता है। वह भी पढ़ने में काफी शानदार है।
अपनी बड़ी बहन की तरह गार्थ भी बहुत मेधावी है। गार्थ अभी दूसरी क्लास में है लेकिन वह छठवीं क्लास की मैथमेटिक्स बिना किसी हिचकिचाहट के हल कर देता है। गार्थ को संगीत का भी बेहद शौक है लिहाजा वो गिटार को पूरा समय देता है और इस छोटी उम्र में वह दो गाने भी कंपोज कर चुका है। वहीं ग्रेही चौथी क्लास के बाद स्कूल नहीं गई बल्कि घर पर ही सेल्फ स्टडी कर रही है। अब वह सीबीएसई बोर्ड से 10वीं कक्षा की परीक्षा की तैयारी कर रही है। ग्रेही मानती है कि जो कुछ उसे स्कूल में पढ़ाया जाता है, उसने वो सब पहले ही पढ़ लिया है।
हालांकि सीबीएसई सहित लगभग सभी शिक्षा बोर्डों का एक नियम होता है कि कोई भी बच्चा दसवीं की परीक्षा देते वक्त 15 साल की उम्र का होना चाहिए। उससे कम उम्र के बच्चों को दसवीं की परीक्षा देने की अनुमति नहीं होती है। लेकिन अगर CBSE ने ग्रेही को छूट दे दी तो वह अगले साल 10वीं की परीक्षा में बैठेगी। ऐसा भी नहीं है कि इन दोनों नन्हें भाई बहनों को सिर्फ किताबों से लगाव है। उनके पापा बताते हैं कि इन्हें खेलना काफी पसंद है और गार्थ तो गिटार भी बजाता है। हालांकि वो घर के अंदर खिलौनों से खेलने की बजाय बाहर खेलने वाले खेल ज्यादा पसंद करते हैं। और हां वे टीवी भी नहीं देखते।
ग्रेही का परिवार बहुत सुख-सुविधओं से संपन्न नहीं है। लेकिन पिता की दृढ़इच्छाशक्ति की बदौलत दोनों बच्चे पढ़ाई में अव्वल प्रदर्शन कर रहे हैं। शायद यह सभी अभिभावकों के लिए एक मिसाल भी है जो अपने बच्चों की पढ़ाई पर उतना ध्यान नहीं देते हैं। ग्रेही ने बताया है कि वह बड़े होकर अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनना चाहती है। इसीलिए वह फिजिक्स में काफी दिलचस्पी भी लेती है। वैसे तो अभी कुछ साफ नहीं है कि वह अगले साल 10वीं की परीक्षा देगी या नहीं। लेकिन उम्मीद की जानी चाहिए कि उसे यह मौका मिले और वह बेहतर कर पाए।
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