मंज़िल की तलाश में रिक्शे के पहिए पर दौड़ते 'नवीन' सपने
वाराणसी के नवीन ने 1200 रिक्शा चालकों को रिक्शों का मालिकाना हक़ प्रदान किया...
सपने और महत्वाकांक्षाएँ, ज़िंदगी के दो ऐसे औजार हैं जिसकी बदौलत हर कोई उम्मीद की नौका पर सवार होकर आगे निकलता है। जो तेज़ धार में भी अपने ऊपर संतुलन रख पाता है उसका किनारा तय है। सपने कभी छोटे नहीं होते और उसी सपने को साकार करने के लिए हर कोई जी तोड़ मेहनत करता है।
आइए आपको मिलवाते हैं एक ऐसे शख्स से जो दूसरों के सपने को साकार करने में जुटा है। इस शख्स का नाम है नवीन कृष्ण। नवीन, उन हज़ारों रिक्शा चलाने वालों की मंज़िल हैं जिनका सपना है कि उनका भी एक ‘अपना रिक्शा’ हो। ऐसे ही रिक्शा चालकों के सपने साकार करने के लिए नवीन ने एस एम व्हील्स (SMV Wheels) की स्थापना की।
वाराणसी में कायम एस एम व्ही व्हील्स (SMV Wheels) एक सामाजिक उपक्रम है, जो साइकिल रिक्शा चलाने वालों की सहायता करता है। कंपनी साइकिल रिक्शा बेचने का काम करती है, जो आस्थगित भुगतान (deferred payment ) सुविधा पर रिक्शा चालकों को रिक्शे मुहैया करवाती है, जिससे वे आसान साप्ताहिक किश्तों में लगभग एक साल में रिक्शे की कीमत का भुगतान कर सकें। इतना समय गुज़र जाने पर पंजीकृत रिक्शे की मिल्कियत चालकों को मिल जाती है। इसके अलावा, नियमित साप्ताहिक किश्तें भरने के कारण उनकी अच्छी साख बन जाती है और बाद में कभी ऋण की आवश्यकता पड़ने पर उन्हें आसानी से ऋण प्राप्त हो जाता है, जो आगे चलकर उनके आर्थिक समावेशीकरण में सहायक हो सकता है। इन सब बातों के अलावा कंपनी रिक्शा चालकों का जीवन बीमा, अपंगता बीमा, रिक्शा चोरी बीमा और दुर्घटना बीमा भी करवाती है। ड्राइविंग-लाइसेन्स और रिक्शा-लाइसेन्स प्राप्त करने में भी वे रिक्शा चालकों की मदद करते हैं।
एस एम व्ही व्हील्स (SMV Wheels) के संस्थापक और प्रबंध निदेशक (MD) नवीन ने सामाजिक कार्य विषय में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की है। इस उद्यम को शुरू करने से पहले वे बहुत करीब से रिक्शा चलाने वाले ग़रीबों के बीच सामाजिक कार्य करते रहे हैं। पहले वे शहरी विकास मंत्रालय की वित्तीय सहायता शाखा CAPART के लिए काम किया करते थे, जहाँ उन्होंने ग्रामीण विकास केंद्र में अपनी सेवाएँ प्रदान कीं और रिक्शा बैंक परियोजना के राष्ट्रीय संयोजक रहे। उन्होंने त्रिपुरा, तमिलनाडु और गुजरात में रिक्शा बैंक के विस्तार में अपना बहुमूल्य योगदान दिया और उसकी बहुत सी शाखाओं का शुभारम्भ किया। अपने कार्यकाल में उन्होंने असम में 1200 रिक्शा चालकों को रिक्शों की मिल्कियत प्रदान की तथा लखनऊ, इलाहाबाद और वाराणसी में रिक्शा परियोजनाओं के विस्तार में मुख्य भूमिका निभाई। रिक्शा बैंक परियोजना में सेवाएँ देते हुए ही उन्हें खुद अपना स्वतंत्र उद्यम शुरू करने की प्रेरणा मिली। “मैंने देखा कि रिक्शा वितरण का व्यवसाय अपने आपमें एक सस्टेनेबल (संधारणीय) व्यापार गतिविधि बन सकता है और स्वयं उनकी माँग पैदा करने में सहायक हो सकता है। गैर सरकारी संस्थाओं की तरह बाज़ार में नए रिक्शाओं की भरमार करके नहीं बल्कि यह माँग व्यवसाय के भीतर से ही उभरेगी जब मौजूदा वितरण प्रणाली में आवश्यक सुधार किया जाएगा और जब रिक्शा चालक स्वयं अपने रिक्शों के मालिक होंगे और उनके आत्मसम्मान में वृद्धि होगी,” नवीन समझाते हुए कहते हैं।
एस एम व्ही व्हील्स की स्थापना अप्रैल 2010 में हुई और उसने अपना पहला रिक्शा उसी वर्ष नवंबर में बेचा। रिक्शा चालक समुदाय के प्रति नवीन की संवेदशीलता और अपने व्यापार मॉडल पर उनके अटूट विश्वास के चलते बहुत से अंतर्राष्ट्रीय पूंजी निवेशक इस परियोजना की ओर आकृष्ट हुए। सन 2011 में नवीन के नेतृत्व में एस एम व्ही व्हील्स ने संकल्प पुरस्कार और First Light Village Capital award जीते। उनका उद्यम Unreasonable Institute के चुनाव में अंतिम चरण तक पहुँचा और वे कन्वर्टिबल डिबेंचर्स के रूप में 300,000 की पूंजी जुटाने में कामयाब हुए। इस पूंजी का उपयोग कंपनी-विस्तार में किया गया और जौनपुर में उसकी पहली शाखा खोली गई। उन्होंने हाल ही में वितरण व्यवस्था में आंतरिक सुधार करने की दिशा में कदम उठाए हैं, जिससे गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके और साथ ही अनावश्यक खर्चों में कटौती की जा सके।
नवीन के अनुसार गरीबों को रिक्शा मुहैया कराना नया विचार नहीं है लेकिन एस एम व्ही व्हील्स (SMV Wheels) एक ‘लाभ के लिए’ शुरू की गई रिक्शा वितरण कंपनी है और यह बात निवेशकों को अपनी ओर आकर्षित करती है और वे इस परियोजना में बड़ी मात्रा में पूंजी निवेश करने में नहीं हिचकिचाते। यह व्यापार गतिविधि संधारणीय (sustainable) है, अपने पैरों पर खड़ी है क्योंकि वह पूंजी का बार-बार पुनर्निवेश करती है और रिक्शा चालकों में अधिक से अधिक आत्मविश्वास पैदा करती है। वे अपनी मेहनत की कमाई का उपयोग अपनी शर्तों पर स्वयं का रिक्शा खरीदने में होता हुआ देखते हैं और इस तरह दूसरों की दया पर उनकी निर्भरता समाप्त हो जाती है। “वास्तव में एस एम व्ही व्हील्स (SMV Wheels) रिक्शा बेचने का नहीं बल्कि रिक्शा चालकों के साथ अपने संबंध का व्यापार करते हैं, जिसका एक अतिरिक्त लाभ यह है कि उन्हें जीवन-यापन हेतु परिसंपत्तियाँ अर्जित करने में मदद मिल जाती है और साथ ही बीमा और कानूनी रूप से रिक्शा चलाने का सम्मान और बेफिक्री भी। हमारे ग्राहक अपना व्यवसाय पूर्ण आत्मविश्वास और आत्मसम्मान के साथ चलाते हैं,” नवीन कहते हैं।
कंपनी अपने रिक्शे वास्तविक कीमत से थोड़े अधिक मूल्य पर बेचकर लाभ कमाती है। वे रिक्शे के पीछे थोड़ी सी जगह विज्ञापनों के लिए भी छोड़ते हैं और विज्ञापन की आय को रिक्शा चालकों के साथ साझा करते हैं। एस एम व्ही व्हील्स (SMV Wheels) रिक्शों की खरीद करती है, उनके बीमे और लाइसेन्स की मुकम्मल कार्यवाहियाँ निपटाती है और इस तरह रिक्शे की कुल लागत लगभग 11500 रुपए आती है, जिसमें के वाय सी (KYC) नियमों की जाँच, रिक्शे वालों के यहाँ कंपनी-कर्मचारियों के साप्ताहिक दौरे और दूसरे प्रभारों में होने वाले परिचालन व्यय भी शामिल होते हैं। उसके बाद ग्राहक यानी रिक्शा चालक हर सप्ताह आसान किश्तों की अदायगी करता रहता है और लगभग एक साल में उसे रिक्शे का पूर्ण स्वामित्व प्राप्त हो जाता है।
इस समय बनारस और जौनपुर में एस एम व्ही व्हील्स (SMV Wheels) के 15 कर्मचारी कार्यरत हैं और झारखण्ड में एक शाखा के लिए तीन और कर्मचारी नियुक्त करने की उनकी योजना है। लगभग 1200 एस एम व्ही व्हील्स (SMV Wheels) रिक्शा आज सड़कों पर दौड़ रहे हैं तथा 150 रिक्शा चालकों को रिक्शों का स्वामित्व प्राप्त हो चुका है। "हम देश के लगभग 1 करोड़ (10 मिलियन) रिक्शा चालकों में से कम से कम 20% को लाभ पहुंचाने की योजना बना रहे हैं,” नवीन बताते हैं। इस उपक्रम ने हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर सौर-रिक्शा लॉंच करने का समझौता किया है और अब तक 50 रिक्शा चालकों को सौर-रिक्शा चलाने का प्रशिक्षण दिया है। अगले पाँच सालों में नवीन खुद अपनी रिक्शा निर्माण इकाई शुरू करना चाहते हैं, जिससे रिक्शों की बढ़ती मांग सरलता के साथ पूरी की जा सके।
जबकि आज एस एम व्ही व्हील्स (SMV Wheels) एक सफल उद्यम की तरह कार्य कर रहा है, शुरुआती दौर में यह इतना आसान नहीं था। “एस एम व्ही व्हील्स (SMV Wheels) का शुरुआती दौर बहुत कठिन था। वाराणसी के निवेशकों से संपर्क और उन्हें अपनी परियोजना की ओर आकर्षित करना बहुत बड़ी चुनौती थी क्योंकि हम दिल्ली या मुंबई जैसे किसी बड़े शहर में काम नहीं कर रहे हैं। इसके लिए मुंबई और दिल्ली में हमें कम से कम 1000 बार निवेशकों को संक्षिप्त जानकारियाँ देनी पड़ीं और 500 से अधिक पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन्स देने पड़े,” याद करते हुए नवीन बताते हैं। इस बीच उन्हें भीड़ भरी ट्रेनों में सफर करना पड़ा और ढाबों पर खाना खाकर गुज़ारा करना पड़ा। इसके अलावा कठिन सामाजिक और घरेलू चुनौतियाँ तो थी हीं। लेकिन आज उस कठोर श्रम को याद करके नवीन बहुत संतुष्ट हैं क्योंकि न सिर्फ यह उद्यम उन्हें सफलता प्रदान करने में सक्षम रहा है बल्कि उसकी बदौलत अनेकानेक रिक्शा चालकों के जीवनों में परिवर्तन की लहर व्याप्त हो गई है।